बिश्नोई की जीत से खुश भाजपा येदियुरप्पा पर मौन क्यों?
वहीं दूसरी ओर भारी-भरकम रथ पर सवार होकर अपने जीवन का आखिरी सियासी दांव खेलने निकले भाजपा के वरिष्ठ नेता एल के आडवाणी पर पत्रकारों को पैसे देने का आरोप लगा, जिससे बचने के लिए उन्होंने पत्रकार सम्मेलन ही बंद कर दिया है। ताज्जुब ये होता है कि जो पार्टी खुद देश को भ्रष्टाचार मुक्त करने का राग अलाप रही है, उसी पार्टी के सदस्यों पर जब ये कलंक लगा तो वो शांत हो गयी।
लेकिन आज दो दिन बाद हिसार उपचुनाव के नतीजे क्या आये बीजेपी का कोई भी नेता कांग्रेस के खिलाफ आग उगलने से बाज नहीं आ रहा है। भगवा रंग में रंगा हर नेता ये ही कह रहा है कि अब कांग्रेस को सत्ताविहिन होने से कोई नहीं रोक सकता। देश की जनता उसके भ्रष्टाचार के बोझ तले दब चुकी है। उसे अपना फैसला लगभग सुना दिया है। अब कोई उनसे ये पूछे कि जनता ने अगर कांग्रेस का साथ छोड़ा है, तो उनका साथ कहां दिया है?
हिसार की जीत में बिश्नोई और भजन लाल की भी मेहनत है, जिसका फायदा जरूर बीजेपी को मिला है। उसे इस बात का एहसास था तभी तो उसने चोटाला का दामन छोड़ कर बिश्नोई का साथ दिया था। लेकिन देश की जनता भाजपा को भ्रष्टाचार मुक्त मानती है इसे कह पाना जल्दबाजी होगी। लेकिन राजनीति के मंच लोगों को चिल्लाने की आदत होती है, उनके मुंह तो चलते है लेकिन उन्हें किसी की आवाज नहीं सुनायी देती, खासकर वो आवाज जो उनकी बुराई करते हैं।
खैर देखना दिलचस्प होगा कि बिश्नोई की जीत, येदियुरप्पा के गम को भूलाने में भाजपा की मदद करती है कि नहीं, क्योंकि जनता किसका साथ, किस मुद्दे पर देगी इसे कह पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है।