19 साल बाद कोमा से निकल दुनिया देख चकराये
ग्रेजबस्की ने पोलैंड टीवी को बताया कि आज लोग एक यंत्र कान में लगाकर घूम रहे हैं। उससे बातें कर रहे हैं। दुकानें खुल गई हैं। उसमें हर तरह का सामान है। यह सब देख कर मेरा दिमाग चक्कर देने लगा है। मैं जो देख रहा हूं वह क्या सच है। ट्रेन हादसे के बाद ग्रेजबस्की कोमा में चले गए। इस 19 साल में दुनिया इतनी बदल गई कि जब उन्हें होश आया वह हैरत में पड़ गए हैं। उस समय पोलैंड में कम्युनिस्ट सरकार थी। राशन समेत सारी चीजें राशन में मिलती थी। दुकानों में सिर्फ चाय और विनेगर की बेचने की अनुमति थी।
जनता को कुछ भी बोलने की छूट नहीं थी। ग्रेजबस्की कहते हैं कि मैं जब कोमा में गया था, उस समय लाल झंडे पूरे शहर में लहरा रहे थे। आज लाला झंडा कहीं नहीं दिखता। वह घर वाले से पूछते हैं कहां चले गए ये लाल झंडेवाले। पोलैंड में लोकतंत्र की स्थापना हो गई है।
ग्रेजबस्की लोकतंत्र को नहीं समझ पा रहे हैं। वह कम्युनिस्ट पार्टी सेजुड़े हुए थे। घर वाले बमुश्किल उन्हें हाल के वर्षों में हुए बदलावों के बारे में समझा पा रहे हैं। उन्हें इस बात की बेहद खुशी है कि मीट अब हम जितना चाहें उतना खरीद कर खा सकते हैं । उस समय सिर्फ राशन में मीट देने की व्यवस्था थी। ग्रेजबस्की के होश में आने की संभावना बहुत कम थी। इसके बावजूद 19 साल से डाक्टर उनका इलाज कर रहे थे। पेट्रोल पंप देखकर वे हैरत में पड़ जाते हैं । कहते हैं अब तो पेट्रोल पंप जाओ और तेल ले लो। कोमा से पहले के हालात ऐसे थे कि तीन चार घंटे बाद ही पेट्रोल मिलता था।
मोबाइल फोन को देखकर वह बेहद प्रभावित हैं। लेकिन ग्रेजबस्की कहते हैं मैं यह समझ नहीं पा रहा हूं लोग बाते करते समय टहलते क्यों हैं। एक जगह खड़े हो कर क्यों बातें नहीं करते।