12 दिनों तक ग्लोबल विलेज में रहा अन्ना का राज
आकड़ो की बात करें तो सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल में 29 मिलियन लोगों ने अन्ना हजारे को सर्च किया। जबकि इस बीच सोनिया गांधी के इलाज की खबरे भी सुर्खियों में रही मगर अन्ना हजारे के मुकाबले केवल 9 मिलियन लोगों ने ही सोनिया गांधी को सर्च करने में दिलचस्पी दिखाई। इसके अलावा सोशल नेटरर्किंग साइटों में भी अन्ना की आंधी चलती रही फेसबुक में इस आंदोलन से जुड़ी इंडिया अगेनस्ट करपशन के पेज को 502,069 लोगों ने लाइक किया। वहीं आई हेट अन्ना के नाम की कम्यूनिटी से खबर लिखे जाने तक 4,283 लोग जुड़ चुके थे। ऐसा नहीं की सोशल नेटर्वकिंग साइट में केवल अन्ना हजारे से जुड़े पेज ही मौजूद है, यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी के मुकाबले अन्ना हजारे के नाम के पेज को 3.64 लोगों ने पसंद किया था जबकि सोनिया गांधी के पेज से 57,291 लोग ही जुड़े।
देश के बाहर विदेशों में भी लोगों ने इस आन्दोलन में सोशल साइटों की मदद से पूरा साथ दिया। फेसबुक में अमेरिकन इंडिया फाउनडेशन कम्यूनिटी से अब तक कुल 115,514 मेंमबर बन चुके हैं जिन्होंने 759.63 यूएस डॉलर राशि आन्दोलन को मजबूत करने के लिए दान में दी।आन्दोंलन शुरू करने से पहले ही अन्ना हजारे और उनके सहयोगियों को गिरफ्तार कर तिहाड़ जेल में डाल दिया गया था उस समय अन्ना हजारे टीम की सदस्य किरण बेदी ने जेल के अन्दर से उनका वीडियो संदेश जारी किया था जिसे 1.6 लाख लोगों ने यू ट्यूब में देखा जो आकड़ो के अनुसार भारतीय खबरों में दूसरा सबसे ज्यादा देखने वाला वीडियो था। यू ट्यूब पर अब तक अन्ना हजारे के इस आन्दोलन को अब तक 90,000 से अधिक लोग देख चुके हैं।
वहीं इंटरनेट के अलावा अन्य संचार माध्यमों का प्रयोग भी इस आन्दोलन में जमकर हुआ। ''एसएमएस कंट्री'' वेब मेसेज प्रोवाइडर की वाइस प्रेसिडेंट निशा पारिख के अनुसार इन आन्दोंलन में हर दिन 5 से 5.5 लोगों ने एसएमएस किए जिनमें से 1.5 लोगों ने अन्ना से जुड़े एसएमएस किए। हम आपको बता दे 'एसएमएस कंट्री'' एक मेसेज प्रोवाइडर कंपनी है जिसके 200 से अधिक देशों में 550 नेटर्वकों के द्वारा अपनी एसएमएस सेवांए देती हैं।
इन संचार माध्यमों से अन्ना हजारे के आन्दोलन में उन लोगों को भी शामिल होने का मौका मिला जो रोजमर्रा के कामों में लगे हुए थे या फिर देश से बाहर रहते है। अगर देखा जाए तो एक तरफ तो देश सड़कों में उतरकर सरकार की तानशाही का विरोध कर रहा था वहीं दूसरी तरफ संचार माध्यमों के जरिए विश्व का एक अलग जनसमूह इस आन्दोलन से जुड़ा हुआ था।