आतंकवाद के मुद्दे पर एक दूसरे से उलझे चिदंबरम औऱ जेटली
प्राप्त जानकारी के अनुसार, मुंबई में आतंकी घटना को सुरक्षा व्यवस्था पर धब्बा कहे जाने के विपक्ष के आरोपों को नकारते हुए राज्यसभा में पी. चिदंबरम ने इसके लिए दक्षिणपंथी आतंकवाद को दोषी ठहराया है और कहा कि हर आतंकी घटना के बाद हम पड़ोसी देशों में इसके सूत्र तलाशते रहे, लेकिन कई मामलों की साजिश अपनी ही जमीन पर रची गई।'
चिदंबरम ने दक्षिणपंथी फासीवाद को पूरे विश्व के लिए खतरा बताया और कहा कि इस मामले में भारत अपवाद नहीं है। हालांकि आतंकी घटनाओं से पूर्व सूचनाएं इकट्ठा करने में नाकाम रहीं खुफिया एजेंसियों का भी उन्होंने बचाव किया और कहा कि एजेंसियां पैर पसारते दक्षिणपंथी आतंकवाद को नजरअंदाज कर रही थीं। यही वजह है कि जासूसी की दिशा बदली गई और विश्लेषण के तरीकों पर गंभीरता से विचार-विमर्श किया गया।' चिदंबरम ने कहा कि देश गंभीर आतंक के साये में है। नई वास्तविकता यह है कि इसका उद्गम स्थल देश के भीतर हो गया है।'
बहस में हिस्सा लेते हुए अरुण जेटली ने सरकार की निष्क्रियता पर गृह मंत्री को घेरा। उन्होंने सुझाव देने के अंदाज में कहा, 'मजबूत खुफिया तंत्र और कठोर कानून से ही आतंक पर काबू पाया जा सकता है। लेकिन इसके लिए सरकार के पास मजबूत राजनीतिक इच्छा शक्ति कमी है। उन्होंने कहा, 'दिल्ली में अनशन करने वालों को अनुमति नहीं मिली और अलगाववादी लुटियन जोन में बैठक कर चले गए।'