बलवा ने सीबीआई पर दोहरा मापदंड़ अपनाने का लगाया आरोप
सूत्रों ने बताया कि सीबीआई के विशेष न्यायाधीश ओपी सैनी की अदालत में बलवा की ओर से पेश उनके वकील माजिद मेमन ने कहा कि इस मसले पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तरफ से कोई गलती नहीं हुई। प्रधानमंत्री ने तो सिर्फ उसी नीति का समर्थन किया, जो ट्राई की सिफारिशों और 10वीं पंचवर्षीय योजना के तहत थीं।
प्रधानमंत्री ने तो सामान्य तरीके से सही नीति का समर्थन किया। उन्होंने आरोप लगाया कि मीडिया ने राजा और उनके द्वारा प्रधानमंत्री का नाम घसीटने की गलत खबरें प्रचारित कीं। मेमन ने कहा कि राजा ने स्पेक्ट्रम आवंटन के मसले पर प्रधानमंत्री को वर्ष 2007 में 2 नवंबर और 26 दिसंबर को पत्र लिखकर जानकारी दी, जिस पर उन्होंने विचार किया। इस वजह से कल विपक्ष संसद में कह सकता है कि प्रधानमंत्री ने किसी व्यक्ति विशेष का समर्थन किया।
वहीं मेमन ने कहा कि सीबीआई इस मामले में अपनी भेदभाव की नीति से काम कर रही है और अदालत को गुमराह कर रही है। उसने अपने हिसाब से लोगों को बिना आधार बेवजह गिरफ्तार किया। हैरानी की बात है 22 सर्किलों में लाइसेंस पाने वाली कुछ कंपनियों और लोगों में से सीबीआई ने कुछ चुनिंदा लोगों को चुनकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।"
मेमन ने सीबीआई पर निशाना साधते हुए आगे कहा कि सीबीआई ने स्पेक्ट्रम आवंटन नीति पर हुई पूर्व विदेशी मंत्री प्रणब मुखर्जी और सॉलिसिटर जनरल जीई वाहनवती की निजी बातचीत के दस्तावेज भी अदालत के सामने नहीं रखे। ये दस्तावेज अदालत में पेश किए जाने चाहिए थे। वहीं सीबीआई को यह भी बताना चाहिए कि कथित घोटाले से राजकोष को कितना नुकसान हुआ। सरकार ने भी संसद में कहा था कि इस घोटाले से कोई नुकसान नहीं हुआ, बल्कि इससे देश में दूरसंचार नेटवर्क 2004 की मुकाबले 2010 में बढ़ गया।