मीठी छुरी तो नहीं पाकिस्तान की हिना?
दिल्ली के हैदराबाद हाउस में हुई इस वार्ता के बाद हिना रब्बानी ने कहा कि दोनों देश इतिहास के झरोखे में झांक कर देखें। आप खुद देखेंगे कि आपसी झगड़ों से आज तक कुछ हांसिल नहीं हुआ है।
अब ज्यादा दिन तक इतिहास के बोझ को लेकर चलना ठीक नहीं है। लिहाजा बेहतर होगा यदि दोनों देश आपसी संबंध मजबूत करें। रब्बानी और कृष्णा के बीच नियंत्रण रेखा के आर-पार आवाजाही बढ़ाकर व्यापार में बढ़ोत्तरी, पर्यटन और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने पर सहमति बनी। साथ में कश्मीर वार्ता को सकारात्मक ढंग से आगे बढ़ाने पर चर्चा हुई, जिस पर दोनों देश सहमत दिखे।
सबसे अच्छी बात यह दिखी कि दोनों देशों ने इस सकारात्मक पहल को आगे बढ़ाने के लिए समय अभी से निश्चित कर लिया है, वो है 2012 की पहली तिमाही, जब रब्बानी और कृष्णा एक बार फिर मिलेंगे।
पाकिस्तान से आई इस मिठाई के ऊपर लगी चांदी की परत तो काफी अच्छी दिख रही है, लेकिन क्या अंदर से यह वाकई में मीठी है? कहीं पड़ोसी देश की नई विदेश मंत्री भारत के ऊपर चलने वाली मीठी छूरी तो नहीं? इन बातों को हमें हमेशा से जहन में रखना होगा। क्योंकि जिस इतिहास को रब्बानी भूलने की बात कर रही हैं, उसी इतिहास में पाकिस्तान की काली करतूतें दिखाई देती हैं। वही इतिहास कहता है कि पाकिस्तान विश्वास करने लायक नहीं।
हम यहां पाकिस्तान के प्रति भड़ास निकालने नहीं बैठे हैं और ना ही हम चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच मित्रता नहीं हो। हम हमेशा चाहेंगे कि दोनों के बीच मैत्रिक संबंध बने रहें, क्योंकि सैन्य शक्ति को देखते हुए इसी में दोनों की भलाई है। लेकिन फिर भी जो सवाल मन में आते हैं, उन्हें दफ्न नहीं किया जा सकता।
पहला सवाल: 26/11 हमलों में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की भूमिका होने के प्रमाण पहले ही मिल चुके हैं। यदि 13/7 बम धमाकों में पाकिस्तान की भूमिका साबित हो गई, तो क्या यह वार्ता सकारात्मक रूप से आगे बढ़ पायेगी?
दूसरा
सवाल:
26/11
हमलों
की
कार्रवाई
तेज
करने
का
दावा
करने
वाले
पाकिस्तान
में
फलफूल
रहे
आतंकी
संगठनों
का
हाथ
इन
हमलों
में
पूरी
तरह
साबित
हो
गया
और
फिर
भी
पाकिस्तान
ने
उनके
खिलाफ
कार्रवाई
नहीं
की,
तो
क्या
भारत
दोस्ती
का
हाथ
आगे
बढ़ायेगा?
तीसरा
सवाल:
हिना
रब्बानी
की
इन
मीठी-मीठी
बातों
के
बाद
क्या
पाकिस्तानी
सेना
बॉर्डर
पर
बार
युद्ध
विराम
तोड़ना
बंद
करेगी?
इन
बातों
के
बाद
क्या
पाकिस्तानी
सेना
आतंकियों
की
घुसपैठ
रोकने
में
भारत
का
साथ
देगी,
या
पहले
की
तरह
घुसपैठियों
को
कवरिंग
फायर
देना
जारी
रखेगी?
यदि
सीमा
पर
गोलीबारी
जारी
रही,
तो
क्या
फिर
भी
भारत
दोस्ती
करने
से
पीछे
नहीं
हटेगा?
चौथा
सवाल:
26/11
हमले
के
साजिशकर्ताओं
को
क्या
पाकिस्तान
सजा
देगा?
पांचवा
सवाल:
दोनों
देशों
के
बीच
मैत्रिक
संबंध
बनने
के
बाद
यदि
सब
कुछ
ठीक
चलने
लगा,
तब
क्या
पाकिस्तान
आतंकवादियों
की
सप्लाई
बंद
करेगा?
इन सवालों के जवाब हर भारतीय के पास हैं, लेकिन कोई इन्हें मुंह पर नहीं लाना चाहता, क्योंकि सभी अमन-चैन चाहते हैं। लेकिन यह अमन चैन अकेली रब्बानी नहीं ला सकती हैं। उसके लिए पाकिस्तान के राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री से लेकर पाकिस्तानी सेना और सबसे ज्यादा आईएसआई को उनका साथ देना होगा। यदि ये सभी एक जुट होकर भारत के साथ दोस्ती में शामिल नहीं होते हैं या पीठ पीछे फिर कोई हमला करते हैं, तो हिना की ये बातें मात्र मीठी छुरी के समान होंगी।