बाजार में बिक रही रंगी हुई सब्जियां व फल
उत्तर प्रदेश ही नहीं देश के कई अन्य राज्यों में सड़ी गली सब्जियों को रंग लगाकर ताजा बनाया जा रहा है। मानसून के मौसम में जब सब्जियां अधिक समय तक ताजी नहीं रहती तो उसे बचाने के लिए रसायन मिले रंगों का प्रयोग किया जा रहा है। यह रसायन सिर्फ सब्जियों पर ही नहीं बल्कि फलों पर भी लगाये जा रहे हैं। चिकित्सकों के अनुसार यह रसायन संक्रामक रोगों को जन्म देते हैं।
ऐसे मिलावट खोरों के खिलाफ राज्य में चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने राज्य के 18 जिलों में छापे मारे तो यह हकीकत उजागर हुई कि फल व सब्जियों पर रंग लगाकर किस प्रकार लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। एफडीए की सचिव अर्चना अग्रवाल के अनुसार उन्नाव, छत्रपति शाहूजी महाराज नगर, सुल्तानपुर, सिद्धार्थनगर, हरदोई, शाहजहांपुर, बाराबंकी, फैजाबाद, अलीगढ़, गोरखपुर, देवरिया, कौशाम्बी, बिजनौर, लखीमपुर खीरी, प्रतापगढ, लखनऊ, हमीरपुर एवं रायबरेली में छापों में भारी संख्या में रंगी हुई सब्जियां जब्त की गयीं। उनका कहना है कि इस प्रकार की सब्जियों की आपूर्ति राज्य के अन्य बाजारों में है।
एफडीए के छापे में जब्त की गयी सब्जियों की मात्रा देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि व्यापारी किस प्रकार अपने मुनाफे के लिए जनता की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं। चिकित्सकों का कहना है कि यह रंग लोगों के स्वास्थ्यय पर बुरा प्रभाव डालती है अत: जाने अनजाने इस प्रकार के खाद्य पदार्थ के सेवन से बचना चाहिए। चिकित्सकों के अनुसार जब भी बाजार से कोई खाद्य पदार्थ खरीदें तो कपड़े या फिर हाथ की उंगलियों से रगड़कर यह देख लें की उस पर रंग का प्रयोग तो नहीं किया गया है यदि रंग हो तो ऐसे पदार्थों को खरीदने से परहेज करें।