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एक सुधारगृह जहां होता था मौत का खेल, अब है वहां रूहो का कब्‍जा

By अश्‍वनी तिवारी
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Eastern State Penitentiary a haunted place
अपने वायदे के अनुसार वन इ‍ंडिया की तरफ से आप लोगों के सामने आज यह तीसरा लेख प्रस्‍तुत किया जा रहा है। आज हम दुनिया के एक ऐसे सुधारगृह की बात करेंगे जिसे लोगों को सुधारने के लिए बनाया गया जहां लोगों को नयी जिंदगी देने की नाकाम कोशिश की गयी। इसका तो कोई सही आंकड़ा नही मिल पाया कि कितने लोगों को इससे फायदा हुआ लेकिन एक बात जरूर हुयी कि न जाने कितने लोग यहां काल के गाल में समा गये।

ये जगह जो लोगों को नयी जिंदगी देने के लिए बनायी गयी वो जगह लोगों के दर्द, खून, और चीखों से भर गयी और मौत का ने खुलकर इस पेनिटेन्शियरी (सुधारगृह) में तांडव किया। ये दुनिया का पहला ऐसा सुधारगृह था जहां मौत का खेल हुआ और आज भी इस सुधारगृह की दिवारों में उन मौतों को बड़े ही आसानी से महसूस किया जा सकता है। आज हम आपकों इस लेख के माध्‍यम से यात्रा कराऐंगे फिलाडेल्‍फीया के पूर्वी स्‍टेट पेनिटेन्शियरी का, तो तैयार हो जाइऐ एक रोमांचकारी यात्रा के लिए।

पूर्वी स्टेट पेनिटेन्शियरी संयुक्त राज्य अमेरिका में एक राज्य के पूर्व जेल है। इस जेल कर निर्माण सन 1829 में कराया गया था। यह सुधारगृह दुनिया के कुख्‍यात अपराधियों को कैद करने के लिए मशहूर रहा है। आपको बता दे कि प्रारम्‍भ में इस जेल की क्षमता लगभग 250 कैदियों को कैद करने की थी लेकिन इसे बाद बढ़ा दिया गया जो कि लगभग 1700 कैदियों की क्षमता वाला जेल बन गया। इस जेल में बहुत से नमी गिरामी कैदी रखे गये लेकिन यह जेल अमेरिका के एक अपराधी अल कोपेनों के लिए ज्‍यादा मशहूर हुआ।

जेल का इतिहास

पूर्वी स्टेट पेनिटेन्शियरी की इमारत बहुत ही बुलंद है। पांच खंडों में फैले इस जेल की में बहुत सारे रास्‍ते और कमरे है। इस इमारत को मशहूर जॉन हैवीलैंड ने डिजाइन किया था जो कि अपने समय में एक मशहूर आर्किटेक्‍ट हुआ करते थे। 25 अक्‍टूबर को उन्‍होने इस इमारत को शुरू किया था इस इमारत को बनने में काफी लम्‍बा समय लगा था। इस सुधारगृह में अपराधियों को सुधारने के लिए तैयार किया गया। इस जेल के परिसर में बहुत सारी इमारतों का निर्माण
किया गया था।

जो कि अलग अलग खंडों में बांटी गयी थी। हर खंड में कुछ अलग कार्य किये जाते थे और अलग तरह के अपराधियों को रखा जाता था। इस जेल में अप‍राधियों को अलग अलग तरीके से सुधारने का कार्य किया जाता था। उन्‍हे कई तरह से यातनाए दी जाती थी कि वो अपने आप बदल सके। इस दौरान इस जेल में कई बार मौतें भी हो जाती थी।

कैदी और सेल

जेल के अंदर कैदीयों को छोटे छोटे सेल में रखा जाता था उनके दरवाजे बहुत ही मजबुत हुआ करते थे और उन्‍हे समयानुसार ही भोजन और अन्‍य चीजें दी जाती थी। इसके अलांवा जेल के बाहरी परिसर में कैदियों को व्‍यायाम की भी सुविधा थी लेकिन जेल प्रशासन के तरफ से एक नियम बनाया गया था कि कोई भी दो कैदी आपस में बात नहीं कर सकता है इसलीए एक समय पर दो कैदी बाहरी परिसर में नहीं छोड़े जाते थे।

कैदियों की दी जाने वाली यातनाए

कैदियों को मजबूर करने के लिए इस जेल में बहुत सारी यातनाए दी जाती थी, जिनके बारें में जग आपकों पता चलेगा तो आपकी रूह भी एक बार सहम जायेगी। कैदियों को उस समय की प्रचलित एक विशेष "पेंसिल्वेनिया प्रणाली" से यातनाएं दी जाती थी। इस प्रणाली में कई तरह के चरण होते थे और अलग अलग कैदियों को अलग अल्रग यातनाए दी जाती थी।

आईस बाथ

जैसा कि आपको पढकर ही कुछ समझ में आ गया होगा यहां पर कैदियों को रोजाना सूर्योदय के पूर्व ही बर्फ के ठण्‍डे पानी से नहलाया जाता था। उन्‍हे ये सख्‍त हिदायत दी गयी थी जो भी बर्फ में स्‍नान नहीं करेगा उसे दूसरे सजा से गुजरना होगा। उस समय के जेल प्रशासन ने कैदियों के दिमाग में यह डाला था कि तुम इस पृथ्‍वी के सबसे गंदे जीव हो और भगवान को खुश करने की कोशिश करों। आप खुद सोच सकते है कि रोजाना बर्फ के पानी से नहाना कितना कष्‍टदायक होगा। उसके बाद कैदियों को कपड़े के तौर पर महज एक चिर दे दिया जाता था।

पागल कुर्सी

पागल कुर्सी एक ऐसी कुर्सी होती थी जो कि कैदियों को सुधारने के लिए प्रयोग की जाती थी लेकिन उस दौरान कैदियों को नंगा करके इस कुर्सी पर चमड़े और जंजीरों से बांध दिया जाता था और उनके कानों में सलाखों को डाला जाता था। इस सजा के लिए कोई समय सीमा नहीं थी कभी कभी कैदियों को हफ्तों तक इन कुर्सीयों पर बैठाये रख जाता था। इस दौरान उन्‍हे खाने पीने के लिए कुछ भी नहीं दिया जाता था।

आयरन चूप

आयरन चूप "पेंसिल्वेनिया प्रणाली" की सबसे भयावह सजा होती थी। इस सजा में ही सबसे ज्‍यादा कैदियों की मौत होती थी। इस सजा में कैदियों की जबान, कान, नाक, और छाती पर लोहे की सलाखें फंसा दी जाती थी। ये सलाखें गर्म होती थी और उन सलांखों को अचानक से खींच दिया जाता था। इस दौरान कैदी के शरीर सबसे ज्‍यादा रक्‍त स्‍त्राव होती थी। इसके बाद कुछ कैदियों को जमीन पर नमक पर लिटा दिया जाता था।

होल प्रणाली

इस प्रणाली में कैदियों को जेल के पुराने हिस्‍से में जमीन में पुरी शरीर सहित सीधा ही जमीन में गाड़ दिया जाता था। जहां पर यह सजा दी जाती थी वो जगह बहुत ही पुरानी थी और वहां पर जंगली चुहे और चिटीयों को पाल कर रखा गया था। कैदियों के गर्दन ही सिर्फ बाहर होते थे जिन्‍हे जंगली चूहे नोच नोच कर खाते थे। इसके अलांवा जमीन के अंदर से चिटीयां अपने बांबियों से निकल शरीर का पुरा खुन चूसती थी।

जेल पर रूहो का कब्‍जा

इस जेल में कैदियों के साथ हुए इन यातनाओं में न जाने कितने कैदियों ने अपनी जाने गवां दी। जैसे जैसे जेल में मौत का सिलसिला चलता गया वहां मरे हुए कैदियों की रूहो ने अपना घर बना लिया और आये दिन हादसें शुरू हो गये। यह इमारत न जाने कितनी आत्‍महत्‍याओ, हत्‍याओ, और मौतों की गवाह है। इस जेल में कैदियों को मानसिक रूप से प्रताडि़त किया जाता था, और उन्‍हे मौत की तरफ धिमें-धिमें धकेला जाता था।

इस इमारत का चौथा ब्‍लाक सबसे ज्‍यादा भयावह है। यहां ऐसा माना जाता है कि आप कभी भी इसकी दिवरों से अजीब से अजीब किड़ों को निकलते देख सकते है। इसके अलांवा रूहों का सबसे ज्‍यादा बसेरा यही है। आज भी लोग यहां पर लोगों की चिखने और खून से लथपथ जमीन पर तड़पते लोंगों के सायों को देख लेते है। यहां एक ऐसा कमरा है जहां पिछले 140 सालों से एक पुराना ताला लगा हुआ है जिसे कभी कोई खोल नही सका।

ऐसा माना जाता है कि एक बार इस ताले के बंद होने के बाद एक कारीगर ने इसे खोला था। ताला जैसे ही खुला और उसने दरवाजा खोला उसने एक साथ इतनी ज्‍यादा चींखे सुनाई दी और जमीन पर अपने ही सिर, हाथ और पैर लेकर लोगों को रेंगते देखा उसके बाद उसे दिल का दौरा पड़ा और मौके पर ही उसकी मौत हो गयी। इस हादसे के दौरान उसने दरवाजे को बंद करने की पुरी कोशिश की थी लेकिन दरवाजा पुरी तरह बंद नहीं कर पाया था। दूबार दरवाजे को बंद कर दिया गया और आज भी वो ताला लगा हुआ है।

English summary
The Eastern State Penitentiary is a former American prison in Philadelphia , Pennsylvania. Built in 1829, the imposing Gothic structure was originally designed to hold 250 inmates in solitary confinement. At the height of its use, however, as many as 1,700 prisoners were crammed into the cells. Like many such places of high emotional stress, misery and death, the prison has become haunted.
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