महिला आरक्षण पर आज बात करेंगे छोटे दल
आपको बता दें कि इससे पहले उन्होंने सभी राजनीतिक दलों को पत्र लिख कर आग्रह किया था कि राज्यसभा द्वारा पारित किए जा चुके इस विधेयक को लोकसभा से भी मंजूरी दिलाने की दिशा में वे कदम उठाएं। उल्लेखनीय है कि उच्च सदन इस विधेयक को भारी हंगामे और मार्शलों द्वारा निलंबित सदस्यों को सदन से बाहर निकाल कर मार्च 2010 में पारित कर चुका है, लेकिन सपा, जनता दल यू, राजद और बसपा आदि कुछ दलों द्वारा इस विधेयक में पिछड़े वर्गो की महिलाओं के लिए कोटा दर कोटा की व्यवस्था करने की मांग के चलते लोकसभा में इसे पारित कराना मुश्किल बना हुआ है।
मुख्य विपक्षी दल भाजपा सहित राजनीति दलों का कहना है कि राज्ससभा जैसी स्थितियों में इसे लोकसभा से पारित कराने के प्रयास नहीं होने चाहिए। लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने संबंधी यह विधेयक पिछले 15 साल से अधर में लटका हुआ है।