नक्सलियों की कैद में नहीं, मर्जी से उनके साथ रहना चाहती है जूही
टाइम्स नॉऊ न्यूज चैनल के हवाले से प्राप्त जानकारी के अनुसार जूही का कहना है कि वह अपने रिसर्च कार्य के लिये सिर्फ एक हफ्ते तक नक्सलियों के साथ रहना चाहती है। वहीं दूसरी तरफ नक्सलियों ने पूरी तरह से जूही की जांच पड़ताल कर ली है। पूर्व में नक्सलियों को इस बात का शक था कि कहीं वह पुलिस की मुखबिर तो नही। पड़ताल करने के लिये नक्सलियों ने लगभग आधा दर्जन गांव वालों को बीती रात अज्ञात ठिकाने पर बुलाया और जूही और उसके साथ मौजूद एक अन्य युवक महुलिया टांड निवासी प्रदीप कुमार दास की पहचान करायी।
मालूम हो कि प्रदीप दास आदिवासियों पर काम करने वाली स्वयंसेवी संस्था 'एकता परिषद' चलाते हैं और जंगलों में अक्सर जाते रहते हैं। इस बीच नक्सली जब जांच-पड़ताल से संतुष्ट हुए तब जाकर जूही को अपने साथ रखा। अब नक्सली उसे अपने संग और अधिक देर तक रखने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं। इसी प्रकार भाकपा माओवादी के नक्सलियों ने किसी भी प्रकार की फिरौती की बात को सिरे से नकार दिया है। नक्सलियों का कहना है कि ये लड़की खुद उनके पास आई है। ऐसे में न तो जूही का अपहरण हुआ है और न ही कोई फिरौती की बात है। पूरे मामले पर पुलिस की चुप्पी आश्चर्य पैदा कर रही है। कहीं भी कॉम्बिंग ऑपरेशन नहीं चलाया जा रहा है।
मालूम हो कि अमेरिका से बिहार रिर्सच करने आई छात्रा जूही त्यागी का पता चल गया है। वह लापता नहीं हुई है बल्कि नक्सिलयों ने उसे बंधक बना लिया है। नक्सलियों ने जूही के सहयोगी को भी बंधक बनाया है। आपको बताते चलें कि जूही त्यागी 19 जून को अमेरिका से बिहार रिर्सच करने आई थी। जूही मूल रूप से बैंगलुरु की रहने वाली है और न्यूयार्क के स्टोनी बू्रक यूनिवर्सिटी की छात्रा है। जूही स्टोनी ब्रुक विश्वविद्यालय न्यूयॉर्क से समाजशास्त्र में पीएचडी कर रही है