सी. शिवशंकरन के बयान से मारन पर कस सकता है शिकंजा
सीबीआई 2001 से 2007 के बीच 2जी स्पेक्ट्रम के आवंटन की छानबीन कर रही है। मारन 2004 से 2007 के बीच केंद्रीय दूरसंचार मंत्री थे तब उन पर एयरसेल को 14 लाइसेंस दिलाने का आरोप है। बताया जा रहा है 2006 में जब शिवशंकरन एयरसेल के मालिक थे तब उनकी लाइसेंस की मांग को बार-बार ठुकरा दी गई। इसके बाद मारन के दबाव में शिवशंकरन ने एयरसेल में अपनी हिस्सेदारी मैक्सिस कम्युनिकेशंस को बेच दी जो टी. आनंद कृष्णन की कंपनी है। वे मारन और उनके भाई कलानिधि मारन के करीबी बताए जा रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक शिवशंकरन के कंपनी छोड़े जाने के बाद घटनाक्रम तेजी से बदला और कंपनी को सात और सर्किलों में लाइसेंस मिले। इस प्रकार एयरसेल को कुछ 22 सर्किलों में कुछ दिनों के भीतर ही लाइसेंस जारी कर दिए गए।
उधर, दयानिधि मारन ने एयरसेल के संस्थापक सी. शिवशंकरन के इस बयान को सिरे से खारिज किया है। मारन ने कहा कि कोई किसी को भी कारोबार बेचने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। इतना ही नहीं एयरसेल के बारे में जो कुछ भी अखबारों में छपता रहा है, उसकी कतरनें मेरे पास हैं। उन्होंने कहा कि समाचार माध्यम यह दिखा रहे हैं कि मैंने उन्हें बाध्य किया कि वह अपनी हिस्सेदारी किसी और को बेच दें। मैं आपको यह बता दूं कि शिवशंकरन करोड़पति नहीं, बल्कि अरबपति हैं।