पृथ्वी पर प्रलय की अगली तारीख 21 दिसंबर 2012
एक बार फिर विज्ञान के आगे ज्योतिष फेल साबित हो गई। अमेरिकी ज्योतिष की भविष्यवाणी पर जैसा वैज्ञानिकों ने कहा था वैसा ही हुआ। यानी सब कुछ सामान्य चलता रहा। दुनिया जस की तस घूम रही है। लोग रोज की तरह काम कर रहे हैं और जीव-जन्तु भी पूरी तरह सुरक्षित हैं। इमारतें अपनी जगह खड़ी गगन को चूम रही हैं और समुद्र की लहरें आज भी यही कह रही हैं, कि प्रकृति में उससे विशाल कुछ नहीं।
वैसे देखा जाये तो दुनिया के खत्म होने की भविष्यवाणी ने पूरी दुनिया को हिला दिया। टेलीविजन चैनल हों या रेडियो और या फिर इंटरनेट व अखबार। हर जगह इस खबर को लेकर कौतूहल सा दिखाई दिया। इस भविष्यवाणी के गलत होने के बाद क्या यही कौतूहल अगले साल 21 दिसंबर और 26 दिसंबर को दिखाई देगा।
माया सभ्यता के मुताबिक सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र में लगातार बदलाव होते रहते हैं। 5125 साल में यह बदलाव आता है। इस बार यह बदलाव 21 दिसंबर 2012 में आना है। तब धरती खिसक जाएगी और तीव्र चुंबकीय बल के कारण धरती पलट जायेगी। माया कैलेंडर के अलावा पेरू की इंका सभ्यता ने भी दुनिया के नष्ट होने की तारीख लिख दी है। 800 साल पुरानी यह सभ्यता कहती है कि 25 दिसंबर 2012 को दुनिया खत्म हो जायेगी।
खैर अगर कल के दिन उत्तर प्रदेश की बात करें तो वहां आयी तेज़ आंधी और पानी ने वाकई कुछ देर के लिए लोगों को डरा दिया था। आंधी-पानी के कहर ने 41 लोगों की जानें ले लीं। लखनऊ के इंद्रेश सक्सेना ने फोन पर बताया कि उसने दुनिया के खत्म होने की खबर एक रात पहले ही टीवी चैनल पर देखी थी, सुबह इतनी तेज़ आंधी और पानी को देख कुछ देर के लिए उसे प्रलय का अहसास हुआ था। इंद्रेश के जैसे तमाम लोग होंगे, जिन्होंने अपने सामने मौतें होते देख एक बार प्रलय के बारे में सोचा जरूर होगा।