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दिल्‍ली: मरकर भी सात लोगों को जीवनदान दे गई हर्षिता

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दिल्‍ली। बीमारी के चलते 17 साल की हर्षिता ने अस्‍पताल में दम तोड़ दिया। हर्षिता अब हमारे बीच नहीं हैं मगर उसके बाद भी वह सात लोगों की जिंदगी का सबब बन गई है। हर्षिता के बारे में बता दें कि मस्तिष्क रक्त स्राव के कारण हर्षिता की मौत हो गई। हर्षिता को 29 अप्रैल को ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था। इसी दौरान हर्षिता की मां आशा भरेच और पिता महेन्द्र भरेच ने अपनी बेटी के अंगों को उन मरीजों को दान करने का प्रेरणादायी फैसला लिया जो जीने की आशा खो बैठे थे और इस तरह हर्षिता भले ही अपनी जिंदगी से हार गई लेकिन उसने सात लोगों को नई जिन्दगी दे दी।

हर्षिता की मौत दिल्‍ली के गंगा राम अस्‍पताल में हुई। पांच मरीजों को हर्षिता के शरीर से निकाले गए किडनी, लीवर, कोर्निया और हार्ट के वाल्व जैसे महत्वपूर्ण अंगों का प्रत्यारोपण करके उन्हें नया जीवन दान मिला। अस्पताल के चैयरमैन डॉ बी के राव ने बताया कि हर्षिता के माता-पिता ने अपनी बेटी के अंगों को दान करके एक ऐसा मिसाल कायम किया है जिससे अन्य लोगों को अंग दान करने के लिये आगे आने की प्रेरणा मिलेगी और लाखों लोगों के जीवन को बचाया जा सकेगा।

अस्पताल के रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के वरिष्ठ सर्जन डॉ. हर्ष जौहरी ने बताया कि हर्षिता के शरीर से लिए गए लीवर और एक किडनी को अस्पताल में ही भर्ती दो मरीजों के शरीर में प्रत्यारोपित किए गए। जबकि ह्रदय के वाल्व, एक किडनी और कोर्निया को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स भेज गए।

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English summary
17-year-old Harshita Bharech, whose kidneys, liver, corneas and heart valves were donated after she was declared brain dead at Sir Ganga Ram Hospital on April 29, during a media interaction, in New Delhi on Saturday.
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