द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सबसे महंगी लड़ाई रही मिशन लादेन
जिस जीत को लेकर अमेरिका झूम उठा है वह दरअसल आतंक पर जीत नहीं, बल्कि इस अद़ृश्य दुश्मन की ताकत को ज्यादा दर्शाता है।
आतंक आज से नहीं बहुत पहले से ही एक आर्थिक विपत्ति बन चुका है, मगर दुनिया इस दुश्मन से अंधी गली में अंदाज से लड़ रही है। ओसामा व सद्दाम पर जीत से दुनिया निश्चिंत नहीं, बल्कि और फिक्रमंद हो गई है। भारी खर्च और नए खतरों से भरपूर यह जीत दरअसल हार जैसी लगती है। एक ट्रिलियन डॉलर अर्थात 44 लाख करोड़ रुपये की चोट (संपत्ति की बर्बादी, मौतें और बीमा नुकसान आदि) देने वाले 9/11 के जिम्मेदार को सजा देने के लिए अमेरिका को दस साल और 444 अरब डॉलर फूंकने पड़े।
दरअसल आतंक के खिलाफ 1.3 ट्रिलियन डॉलर की अंतरराष्ट्रीय अमेरिकी मुहिम तीन अभियानों से बनी थी। टारगेट ओसामा यानी ऑपरेशन इंड्योरिंग फ्रीडम (ओईएफ) जो अफगानिस्तान पर केंद्रित था और दूसरी मुहिम टारगेट सद्दाम यानी ऑपरेशन इराकी फ्रीडम (ओआइएफ) थी, जबकि तीसरा अभियान ऑपरेशन नोबल ईगल था, जिसके तहत अमेरिका ने अपनी घरेलू सुरक्षा चुस्त की। मगर कुछ भी हो लेकिन कहीं न कहीं यह खर्च झेल पाने में अमेरिका भी नाकाम रहा तभी तो अमेरिकी राष्ट्रपति ने जुलाई, 2011 से अफगानिस्तान से फौजों की वापसी का एलान कर दिया था।
अर्थात इस महंगे अभियान से ओबामा आजिज आ गए थे और लादेन को हासिल करने से पहले ही अफगानिस्तान से वापसी का एलान कर चुके थे। मगर अंत में हुआ क्या सिर्फ इतना खर्च कराने वाला ओसामा महज दो गोलियों में ही मर गया। अब अगर आर्थिक दृष्टिकोण से देखें तो ओसामा और ओबामा की जंग में कौन जीता यह तो सामने आ ही गया है मगर आपको पता चलें तो जरुर बताईएगा।
ओसामा और ओबामा की इस जंग में आखिर जीता कौन?.. पता चले तो जरूर बताइएगा, हमें आपके जबाब रहेगा। निचे दिए हुए कमेंट बाक्स में अपनी उपस्थिति जरुर दर्ज कराएं।