'रिबेल विदाउट कॉज' से पॉपुलर हुई 'जींस'
लो वेस्ट जींस का फैशन जबसे आया है तब से तो शॉर्ट टॉप और जींस ने समाज के मठाधीशों की नाक में दम कर दिया है। वैसे जींस पर हमेशा लोगों की भौंहें चढ़ती रही हैं। दरअसल जींस ऐसी इकलौती ड्रेस है जो समय के साथ युवाओं की पहली पसंद बन जाती है और पुरातनपंथी बुजुर्गों की आंखों में खटकती रहती है। बात सिर्फ भारत की नहीं है, यहां तो आज भी जींस पश्चिमी सभ्यता का ही प्रतीक मानी जाती है लेकिन पश्चिमी देशों में भी जींस सदैव युवाओं के विदोही स्वभाव का प्रतीक मानी जाती रही है।
जींस का इतिहास ही ऐसा रहा है जिसने उसे हमेशा विद्रोही स्वभाव वाले लोगों की पहली पसंद बना दिया है। आइये जानते हैं जींस का वो अनूठा और अनछुआ राज क्या है-
1.
जींस
सबसे
पहले
द्वितीय
विश्व
युद्ध
के
समय
प्रचलन
में
आई।
वैसे
इसने
असली
लोकप्रियता
द्वितीय
विश्व
युद्ध
के
बाद
हासिल
की।
2.
उस
दौरान
जींस
कारखानों
के
मजदूर
और
कामगारों
की
पोशाक
थी।
अपने
रफ-टफ
कपड़े
के
कारण
जींस
बेहतर
मानी
जाती
थी।
3.
जींस
ने
अपनी
असली
लोकप्रियता
एक
मूवी
के
कारण
हासिल
की।
इस
मूवी
का
निर्माण
जेम्स
डीन
ने
वर्ष
1950
में
किया
था।
4.
'रिबेल
विदाउट
कॉज'
नाम
की
इस
मूवी
ने
जींस
को
युवाओं
और
टीनेजर्स
की
पहली
पसंद
बना
दिया।
5.
इसके
बाद
जींस
को
बहुत
सी
जगहों
पर
विशेषकर
रेस्टोरेंट,
थियेटर
और
स्कूल
पर
प्रतिबंधित
भी
कर
दिया
गया।
6.
एक
दशक
बीत
जाने
के
बाद
जींस
को
ज्यादातर
जगहों
पर
औपचारिक
मान्यता
मिल
गई।
1960
का
दशक
जींस
का
था।
7.
1960
के
दौर
में
जींस
एक
ढीली-ढाली
और
मस्तमौला
पोशाक
मानी
जाती
थी।
पैंट
से
अलग
फैशनेबल
जींस
सबकी
पसंद
थी।
8.
इस
दौर
में
पुरुषों
की
जींस
में
आज
की
ही
तरह
फ्रंट
साइड
पर
चेन
लगे
होते
थे
लेकिन
महिलाओं
की
जींस
अलग
होती
थी।
9.
महिलाओं
की
जींस
में
तब
चेन
आगे
की
ओर
नहीं
बल्कि
दाहिनी
ओर
लगी
होती
थी
लेकिन
समय
के
साथ
जींस
बदल
गई।
10.
1970
के
दशक
में
डेनिम
ने
जींस
के
साथ
नये-नये
प्रयोग
कर
इसे
दुनिया
भर
में
लोकप्रिय
बना
दिया।