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सिर्फ 33 साल में घोटालों के खिलाड़ी बन गए सुरेश कलमाड़ी

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बेंगलुरू । घोटालो के खिलाड़ी सुरेश कलमाड़ी आज जिस रूप में दिखायी दे रहे हैं वो हमेशा उस रूप में नहीं थे। आज भले ही वो एक अपराधी के रूप में नजर आ रहे है लेकिन वो हमेशा इतनी बड़ी हस्ती नही थे। उनको 33 साल लगे एक आम खिलाड़ी से घोटालों के खिलाड़ी बनने में। 1 मई 1944 में जन्मे कलमाड़ी ने महाराष्ट्र राज्य के पुणे में स्थित सेंट विन्सेंट हाई स्कूल में और उसके बाद पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज में पढ़ाई की है। 1960 में वे पुणे के राष्ट्रीय रक्षा अकादमी में शामिल हो गए और 1964 में वे जोधपुर और इलाहाबाद में एयर फ़ोर्स फ्लाइंग कालेजों के साथ जुड़ गए। 1964-1972 के बीच उन्होंने भारतीय वायु सेना की सेवा की थी।

1978-1980 के बीच वे महाराष्ट्र प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष रहे थे। वे 1982 से 1995 तक और फिर 1998 में तीन कार्यकालों के लिए राज्य सभा के सदस्य रहे। वे 1996 में 11वीं लोक सभा के लिए और 2004 में 14वीं लोक सभा के लिए भी चुने गए। वर्तमान में वे पुणे से सत्तासीन सांसद हैं। भारत के प्रधानमंत्री के रूप में पी. वी. नरसिंह राव के कार्यकाल के दौरान सुरेश कलमाड़ी ने 1995 से 1996 तक रेल राज्य मंत्री के रूप में सेवा की थी।

पुणे के कई लोगों के जेहन में वह युवा सुरेश कलमाड़ी आज भी मौजूद है जो पूना कॉफी हाउस के कैश काउंटर पर बैठता था। यह कॉफी हाउस छोटे-बड़े राजनेताओं का अड्डा होता था। 16 साल से भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के निर्विवादित अध्‍यक्ष रहे कलमाड़ी राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में अब तक हुए हजारों करोड़ रुपए के खर्च के तरीकों को लेकर विवादों के घेरे में है। वे भारतीय ओलिंपिक संघ के प्रेसिडेंट और हाल ही में संपन्न 3 से 14 अक्टूबर 2010 तक दिल्ली में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में आयोजन समिति के चेयरमैन थे। 11 अक्टूबर, 2008 को पुणे में कलमाड़ी को चौथी बार के लिए भारतीय ओलंपिक संघ का प्रेसिडेंट चुना गया था।

कलमाड़ी और विवाद

2008 ग्रीष्मकालीन ओलंपिक्स में तीन भारतीय पदक विजेताओं के सम्मान में आयोजित किये गए सम्मान समारोह के दौरान कलमाडी कथित तौर पर उठकर बाहर चले गए क्योंकि उन्हें भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के बगल में कुर्सी की पेशकश नहीं की गयी थी। जनवरी 2010 में ही पूर्व भारतीय हॉकी टीम के कप्तान परगट सिंह ने कलमाड़ी पर खेल माफिया होने का आरोप लगाया था।

2010 के राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन सार्वजनिक जाँच और कानूनी तहकीकात के साथ-साथ मुख्य सतर्कता आयोग (भारत की एक शीर्षस्थ भ्रष्टाचार विरोधी समिति) के दायरे में आ गया जो खेलों की व्यवस्था के कुछ ख़ास पहलुओं की सीबीआई (CBI) से जाँच कराने की मांग कर रही थी जिसके बाद ये केस सीबीआई के हाथ में आ गया। इसके लिए विपक्ष ने सुरेश कलमाड़ी के इस्तीफे की मांग की थी। उन पर आरोप लगाया गया था कि जेपी समूह के साथ जुड़े खेलों में अत्यधिक लागतों की जानकारी देकर अवैध रूप से धन जुटाए गए जिसमें उनके बेटे सुमीर कलमाड़ी के वित्तीय सहयोग के माध्यम से ग्रेटर नोयडा में एफ1 सर्किट प्रोजेक्ट में पैसे लगाए गए है।

खैर सीबीआई ने कलमाड़ी के घर पर लगातार छापेमारी की और उनसे तीन बार पूछताछ की। लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला, हालांकि विपक्ष के शोर मचाने पर सोनिया गांधी ने कलमाड़ी से इस्तीफे की मांग की और कलमाड़ी ने फद से इस्तीफा दिया भी। 25 अप्रैल 2011 को सीबीआई फिर से हरकत में आयी और उसने फिर से कलमाड़ी से बात-चीत की। जिसके बाद उन्होंने कलमाड़ी को गिरफ्तार कर लिया गया।

कलमाड़ी पर आरोप लगा है कि उपकरण और सेवाओं के लिए सर्वाधिक महंगी कम्पनियों को ठेका दिया गया। इसमें पिछले साल 3-14 अक्टूबर के बीच राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान कथित तौर पर टीएसआर के लिए स्विट्जरलैंड की कम्पनी को अधिक कीमत पर दिया गया ठेका भी शामिल है। कलमाडी के सहयोगी ललित भनोट और वी. के. वर्मा को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। भनोट आयोजन समिति के महासचिव रह चुके हैं, जबकि वर्मा इसके महानिदेशक थे।

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English summary
Suresh Kalmadi served in the Indian Air Force as a pilot. He also took part in both Indo-Pak wars between 1965 and 1971 and was also a recipient of eight medals in his career as a pilot. He ran a small fast food joint (Pune Coffee House) in Pune before his foray into politics.
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