भारतीय मूल के सिद्धार्थ मुखर्जी को पुलित्जर पुरस्कार
वाशिंगटन। भारतीय मूल के अमेरिकी कैंसर विशेषज्ञ सिद्धार्थ मुखर्जी ने सामान्य श्रेणी में अपनी पुस्तक "द एम्परर ऑफ आल मेलेडीज: ए
इस श्रेणी के अंतिम प्रतिस्पर्धियों में निकोलस केर की पुस्तक "द शैलोज: व्हाट द इंटरनेट इज डूइंग टू ऑवर ब्रेन" और एस.सी.गाइनी की पुस्तक "एम्पायर ऑफ द समर मून : कुआना पार्कर एंड द राइज एंड फाल ऑफ द कोमैंचेज, द मोस्ट पॉवरफुल इंडियन ट्राइब इन अमेरिकन हिस्ट्री" थी।
कोलम्बिया युनिवर्सिटी में चिकित्सा विज्ञान के सहायक प्रोफेसर और कोलम्बिया युनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में कैंसर के चिकित्सक मुखर्जी ने आईएएनएस को पिछले वर्ष दिसम्बर में बताया था, "दक्षिण एशिया के कुछ हिस्सों में कैंसर आश्चर्यजनक रूप से बढ़ रहा है।" मुखर्जी ने भारत में कैंसर के बढ़ रहे मामलों से निपटने के लिए धूम्रपान निरोधी एक मजबूत अभियान और स्तन कैंसर जांच की वकालत की है।
प्रकाशन के एक महीने बाद ही मुखर्जी की इस पुस्तक को न्यूयार्क टाइम्स के पुस्तक समीक्षा कालम में 2010 की 10 सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों में शामिल किया गया था। मुखर्जी ने युवा पुरुषों व महिलाओं में बढ़ रही धूम्रपान की प्रवृत्ति को कैंसर में वृद्धि का एक कारण बताया है। उन्होंने कहा, "लेकिन इसके अन्य कारण भी हैं। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है और अन्य बीमारियां धीरे-धीरे गायब होने लगती है, कैंसर का आगमन शुरू हो जाता है।" मुखर्जी (40) नई दिल्ली के सफदरजंग एन्क्लेव में पले-बढ़े हैं और उन्होंने कोलम्बो स्कूल में पढ़ाई की है।