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अब तो मनमोहन को इस्‍तीफा दे ही देना चाहिए!

By Ajay Mohan
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Manmohan Singh
नई दिल्ली। प्रख्‍यात वेबसाइट विकीलीक्‍स के उस खुलासे के बाद जिसमें साल 2008 में अमेरिका के साथ परमाणु करार के लिए सरकार ने सांसदों को घूस दी, मनमोहन सिंह को इस्‍तीफा दे ही देना चाहिए। 2जी स्‍पेक्‍ट्रम और राष्‍ट्रमंडल खेल घोटालों से पहले से ही घिरी यूपीए सरकार द्वारा संसदों की खरीद-फरोख्‍त के लिए दी गई रिश्‍वत की बात ने जनता के मन में मनमोहन सिंह समेत पूरी कांग्रेस पार्टी के प्रति बेहद खराब छवि बना दी है।

विकीलीक्‍स द्वारा किये गये अब तक के सभी खुलासों ने रूस से लेकर अमेरिका तक की सरकारों को हिला कर रख दिया। ऐसे में यह खुलासा कोई छोटी-मोटी बात नहीं। अगर इस बात में जरा भी दम है, तो यह राजनीति के सफेदपोश नेताओं के लिए शर्म की बात है। खास तौर पर कांग्रेस के लिए। जी हां गुरुवार को अगर संसद में विपक्ष ने हंगामा किया तो कोई गलत नहीं किया। विपक्ष ने अगर प्रधानमंत्री से इस्‍तीफा मांगा तो कोई गलत नहीं किया। नैतिकता के आधार पर मनमोहन सिंह को अब प्रधानमंत्री पद से इस्‍तीफा दे देना चाहिए। अगर वे वाकई में बेकसूर हैं, तो पद से हटकर जांच करवायें, क्‍योंकि पद पर रहते हुए जांच में कितनी सच्‍चाई होगी इस पर शायद ही किसी को विश्‍वास होगा।

सांसदों को रिश्‍वत दिये जाने के इस मामले ने भारतीय राजनीति पर बड़ा कलंक लगाया है। इसी कलंक के चलते लोकसभा और राज्‍यसभा दोनों में जोरदार हंगामे हुए। खास बात यह है कि यूपीए सरकार का यह कहना कि वो इस खुलासे की ना तो पुष्टि कर सकती है और ना ही खंडन एक बड़ी बात है। इससे साफ जाहिर है कि सरकार के पास इस बात को झुठलाने के लिए कोई भी ठोस आधार नहीं है।

जानिये विकीलीक्‍स के खुलासे के बारे में

विकिलीक्स ने यह खुलासा कांग्रेस नेता सतीश शर्मा के सहयोगी रहे नचिकेता कपूर के हवाले से किया है। इसके अनुसार कपूर ने अमेरिकी अधिकारी को रुपये से भरी दो पेटियां दिखाईं और कहा कि इनका इस्तेमाल सांसदों को घूस देने के लिए किया जा रहा है, ताकि सरकार को बचाया जा सके। कपूर ने बताया कि परमाणु समझौते पर सांसदों का समर्थन हासिल करने के लिए कांग्रेस ने जो 50

-60 करोड़ रुपये जुटाये थे, उसमें उनकी अहम भागीदारी थी। कपूर के अनुसार अजीत सिंह के राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के चार लोकसभा सांसदों को संप्रग के पक्ष में मतदान करने के लिए 10 करोड़ रुपये दिए गए।

विकिलीक्स के जिस केबल के जरिये यह सूचना जुटाई है, उसे 17 जुलाई, 2008 को अमेरिकी विदेश विभाग को भेजा गया था। इसमें अमेरिका के एक अधिकारी स्टीवन व्हाइट ने सतीश शर्मा को 'पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का घनिष्ठ सहयोगी और सोनिया गांधी का करीबी पारिवारिक मित्र' बताया है। रिपोर्ट में केबल के हवाले से कहा गया है कि सतीश शर्मा ने अमेरिकी अधिकारी से बातचीत के दौरान कहा कि वह और पार्टी के अन्य सदस्य यह सुनिश्चित करने में जुटे हैं कि 22 जुलाई को विश्वास मत के दौरान सरकार की स्थिरता पर कोई संकट न आए। रिपोर्ट के मुताबिक सांसदों का समर्थन जुटाने के लिए कांग्रेस का अभियान केवल उन्हीं रुपयों तक सीमित नहीं था, जो नचिकेता कपूर और सतीश शर्मा ने जुटाए थे।

अब पीछे नहीं हटेगा विपक्ष

इस खुलासे में खुलासे में जिन दो नेताओं के नाम आए हैं वे हैं उन दोनों ने इस बात का भले ही खंडन किया है, लेकिन प्रधानमंत्री से इस्‍तीफा मांग रहा विपक्ष अब पीछे हटने वाला नहीं। विपक्षी दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता गुरुदास दास गुप्ता ने कहा है कि इस मसले पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को तुरंत सदन में बयान देना चाहिए और अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए।

लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने इस खुलासे के संदर्भ में सदन में कहा, "..आज जो खबर छपी है वह शर्मसार और कलंकित करने वाली है।" उन्होंने कहा कि विश्वास प्रस्ताव के दौरान उनकी पार्टी ने सदन में सांसदों को खरीदे जाने का प्रमाण पेश किया था तब उसे अपराध करार दिया गया था लेकिन आज जो तथ्य खुलासे में सामने आए हैं क्या वे अपराध नहीं हैं? उन्होंने कहा कि हम दिन के उजाले में देश के सामने सच लाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन रात के अंधेरे में चुपके-चुपके सांसदों को खरीदे जाने का सौदा किया गया, क्या यह अपराध नहीं है? उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में सरकार पर काफी चोटें पड़ी हैं, लेकिन इस बार उस पर जो हथौड़ा पड़ा है वह शर्मसार करने वाला है। उन्होंने प्रधानमंत्री से तुरंत सदन में आकर इस्तीफे की घोषणा करने की मांग करते हुए कहा कि अब इस सरकार को एक मिनट भी सत्ता में बने रहने का नौतिक अधिकार नहीं है।

समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने कहा, "यह बहुत गम्भीर आरोप है। क्योंकि विश्वास मत के दौरान हमने भी सरकार बचाने में सहयोग किया था। हमने भी सरकार का समर्थन किया था। ऐसे में सरकार बचाने वाले लोगों पर भी उंगली उठी है। हम चाहते हैं सदन में इस पर चर्चा हो।" वहीं जनता दल (युनाइटेड) के शरद यादव ने इसे गम्भीर मसला बताते हुए इस पर चर्चा की मांग की। उन्होंने कहा, "विश्वास मत के दौरान 19 सांसद इधर से उधर गए थे। इसमें एक हमारा सांसद भी था। बिना लालच के ऐसा सम्भव नहीं है। यह बहुत गम्भीर बात है। इसलिए प्रधानमंत्री को आकर सदन में बयान देना चाहिए, नहीं तो संसद चलने का कोई मतलब नहीं है।"

भाजपा के वरिष्‍ठ नेता लाल कृष्‍ण आडवाणी ने पीएम से इस्‍तीफे की मांग करते हुए कहा कि "इस सरकार को जाना चाहिए। प्रधानमंत्री को इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। इस सरकार के अधीन भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं रह गई लेकिन आज तक हम लोगों ने प्रधानमंत्री का इस्तीफा नहीं मांगा था। ऐसे में आज जब इतना बड़ा खुलासा है तो हम मांग करते हैं कि प्रधानमंत्री अपना इस्तीफा दें।"

इन सबके साथ सदन के बाहर निकलते ही सभी विपक्षी दलों के नेताओं ने मीडिया के समक्ष कहा कि अब वे पीछे हटने वाले नहीं हैं। ऐसी भ्रष्‍ट सरकार से देश का नाम पूरी दुनिया में खराब हो रहा है।

Comments
English summary
After WikiLeaks disclosure that indicated that the Congress paid lawmakers to survive a vote of confidence in 2008, opposition parties are demanding resignation of Prime Minister Manmohan Singh. Where as UPA government has no answer over this which directly indicating the truthfulness of Wikileaks' claims. On these grounds now PM should resign from the top post.
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