महाराजगंज नरसंहार: बेटी की हल्दी में मिल गया परिवार का खून
मौत के घाट उतारे गये द्वारकानाथ दुबे की बेटी को शनिवार को हल्दी लगनी थी पर उसके उबटन में बाप का खून मिल गया। अरमानों पर रक्त के मनहूस धब्बे लग गए।
क्लिक करें- प्रधान की मौत के बदले 10 को जिंदा जलाया
दुबे
परिवार
में
भी
एक
विवाह
था।
इस
घटना
की
भयावह
की
याद
गांव
में
हर
होली
पर
लोगों
के
जेहन
में
कौंध
जाएगी।
सत्तर
साल
की
पूसा
ने
बताया
कि
उसने
ऐसा
कभी
नहीं
देखा
था।
शिवशंकर,
परमहंस
और
पल्टन
के
बच्चे
स्कूलों
में
फंस
गए
थे
इस
नरसंहार
के
बाद
से
गांव
से
लोगों
ने
पलायन
शुरु
कर
दिया
है।
ज्यादातर घरों में ताले नजर आने लगे हैं। गांवों की गलियों में कुछ है तो वह हैं पुलिसकर्मियों के बूट की आवजें। इस घटना के बाद से तीन पुश्त एक साथ खत्म हो गये। पत्नी अनीता के साथ मुन्ना दुबे ने दुनिया को छोड़ा तो उनके पहले का युग भी खत्म हो गया।
पिता आद्या दुबे भी आततायियों के शिकार बन गए। दो पुश्त की आंखें तो हमेशा के लिए मुंद ही गई थी और मुन्ना की चार साल की बेटी लक्की, तीन साल की छोटी, आठ साल की शालू और चार माह का दुधमुंहा बेटा हर्ष भी हत्यारे हाथों से नहीं बच सका।