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अरूणा को जिंदगी महिला दिवस का तोहफा है

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मुम्बई। पिछले 37 साल से देश-दुनिया की बेफ्रिकी से दूर अरूणा शानबाग को देश की अदालत ने जिंदगी बख्श दी है। अरूणा की सांसे तो चल रही है लेकिन उनके शरीर में हरकते में नहीं है क्योंकि पिछले 37 साल से वो कोमा में हैं।

मुम्बई के केईएम अस्पताल में कोमा में पड़ी नर्स अरुणा शानबाग की दया मृत्यु की याचिका खारिज किए जाने से अस्पताल की नर्सो में खुशी का माहौल है। नर्सो ने केक काटकर खुशी मनाई। नर्सो ने एक-दूसरे को चॉकलेट खिलाई और गले लगकर बधाई दी। अस्पताल की नर्स कल्पना लिमये ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) से ठीक एक दिन पहले सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले को सबसे बड़ा उपहार बताया।

एक अन्य नर्स ने कहा कि अरुणा को जीना चाहिए। उन्हें जीने के सभी अधिकार प्राप्त हैं। अदालत के फैसले के बाद अस्पताल की एक वरिष्ठ नर्स ने कहा कि अरुणा की देखभाल ठीक उसी तरह की जाती है, जैसे घर में बच्चे की देखभाल की जाती है। वह किसी के लिए कोई समस्या पैदा नहीं कर रही हैं। सभी बारी-बारी से उनका खयाल रखते हैं और ऐसा करने में उन्हें खुशी मिलती है। कोई भी उन्हें मारने के बारे में कैसे सोच सकता है?

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अस्पताल कर्मियों ने अरुणा की दया याचिका दाखिल करने वाली लेखिका और पत्रकार पिंकी विरानी की आलोचना की और कहा कि अरुणा की स्थिति सामने लाकर वह बस 'पैसा कमाना' चाहती हैं।एक वरिष्ठ नर्स ने तो उन पर व्यंग्य करते हुए यहां तक कह दिया कि सभी पिंकी के लिए एक-एक रुपये का योगदान करेंगी, ताकि उन्हें खुशी मिल सके।

देश के शीर्ष न्यायालय ने सोमवार को अरुणा की दया मृत्यु की याचिका खारिज करते हुए कहा कि कुछ खास परिस्थितियों में सम्बंधित उच्च न्यायालय के निर्देश पर जीवन रक्षक प्रणाली हटाने (पैसिव यूथनेशिया) अनुमति दी जा सकती है। लेकिन इसके लिए तीन डॉक्टरों और मरीज के परिजनों की अनुमति आवश्यक होगी।

मूलत: कर्नाटक के शिमोगा से ताल्लुक रखने वाली अरुणा के साथ अस्पताल के एक सफाईकर्मी ने 27 नवम्बर, 1973 को दुष्कर्म किया था। उन्हें जंजीरों से बांधकर बेरहमी से पीटा भी गया था। वारदात के एक दिन बाद उन्हें चिकित्सा सुविधा मिली। डॉक्टरों की लाख कोशिश के बाद भी उनकी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। वह कोमा में ही हैं।

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English summary
Mumbai's KEM Hospital erupted with joy on Monday as the Supreme Court rejected a petition seeking the mercy killing of nurse Aruna Shanbaug, in a coma for 37 years after a brutal sexual assault by a hospital sweeper, with the nursing staff distributing sweets and reiterating that they were happy to take care of her.
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