लाइबेरिया सरकार ने भारतीय राजनयिक की सराहना की
लाइबेरिया के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि भारतीय राजनयिक सचदेवा का दोनों देशों के सम्बंध मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सचदेवा 1987 में भारत के अन्य हजारों लोगों की तरह आवासीय परमिट पर लाइबेरिया आए थे और उन्होंने यहां आवास के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी की थीं।
सचदेवा को इस साल राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील ने प्रवासी भारतीय सम्मान से नवाजा था। सचदेवा पंजाब के जालंधर कस्बे के मूल निवासी हैं।
इससे पहले फर्जी दस्तावेजों के आधार पर समाचार पत्रों में प्रकाशित की गई कुछ खबरों में कहा गया था कि सचदेवा ने भारत से भाग कर लाइबेरिया में राजनीतिक शरण ली थी और उन्हें भारत सरकार से कोई सम्मान नहीं मिला है।
लाइबेरिया के विदेश मंत्रालय द्वारा इन सभी आरोपों का खंडन किया गया है। विदेश मंत्रालय द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया कि जिन दस्तावेजों के आधार पर यह आरोप लगाए गए हैं वह फर्जी हैं। सचदेवा को लाइबेरिया सरकार ने भारत सरकार द्वारा नामित किए जाने के बाद आधिकारिक रूप से राजनयिक का दर्जा दिया था।
मंत्रालय ने कहा कि भारत का दूत बनने के बाद से सचदेवा की छवि पूरी तरह बेदाग और दोनों देशों के सम्बंध मजबूत करने वाले व्यक्ति की रही है। उन्होंने लाइबेरिया में भारतीय लोगों के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
पंजाबी सिख समुदाय के सचदेवा ने लाइबेरिया में तीन गृहयुद्धों के समय भारतीय समुदाय के लोगों की भरसक मदद की है। वर्ष 1992 में गृहयुद्ध के समय सचदेवा का घर लंगर का रूप ले चुका था। उन्होंने भारतीय समुदाय के 370 लोगों को अपने सुरक्षित क्षेत्र में स्थित घर में पनाह दी थी। सचदेवा एक साथी को बचाते समय गोली से घायल भी हो गए थे।
सचदेवा ने आईएएनएस को बताया, "गृहयुद्ध के समय मेरा पूरा व्यापार बर्बाद हो गया था। मुझे करीब 50 लाख डॉलर का नुकसान हुआ। युद्ध के बाद मैंने दोबारा काम शुरू किया और 1996 में स्वास्थ्य कारणों से भारत के महावाणिज्य दूत के वापिस जाने के बाद मुझे यह पद सौंपा गया।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।