बांदा बलात्कार कांड : उप्र सरकार व सीबीआई को सर्वोच्च न्यायालय का नोटिस
याचिका में कहा गया है कि जिस किशोरी के साथ बलात्कार किया गया उसे 33 दिनों तक जेल में बंद कर किशोर न्याय अधिनियम का उल्लंघन किया गया।
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति आफताब आलम और न्यायमूर्ति आर.एम.लोढ़ा की दो सदस्यीय खंडपीठ के समक्ष याचिकाकर्ता ने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम (बच्चों की देखभाल और अधिनियम) के तहत किशोर को हिरासत में नहीं रखा जा सकता।
अधिवक्ता एन. राजा रमण ने अपनी जनहित याचिका में अदालत से कहा है कि यह केवल इसी मामले तक सीमित नहीं है बल्कि अन्य मामलों में भी मजिस्ट्रेट किशोर को पुलिस हिरासत में भेज देते हैं। उन्होंने अदालत से इस मुद्दे को बड़े पैमाने पर संज्ञान में लेने का आग्रह किया।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक पुरुषोत्तम नरेश द्विवेदी ने पिछले महीने कथित तौर पर एक किशोरी के साथ बलात्कार किया था। किशोरी पर चोरी का झूठा आरोप लगाकर उसे करीब एक महीने तक पुलिस हिरासत में रखा गया। किशोरी को इसी महीने रिहा किया गया।
द्विवेदी ने किशोरी पर लाइसेंसी रिवॉल्वर, एक मोबाइल फोन और 5,000 रुपये नकदी चुराने का कथित आरोप लगाया था, जिसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया।
पिछले सप्ताह मुख्यमंत्री मायावती ने आपराधिक जांच विभाग की अपराध शाखा (सीबीसीआईडी) की प्राथमिक जांच के आधार पर द्विवेदी को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। जांच के दौरान यह पाया गया कि किशोरी के साथ बलात्कार किया गया है। द्विवेदी को गिरफ्तार कर बांदा जेल भेज दिया गया।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।