'भिखारी को 50,000 रुपये का मुआवजा दे गोवा सरकार'
पणजी, 15 जनवरी (आईएएनएस)। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने गोवा सरकार को एक भिखारी को 50,000 रुपये का मुआवजा देने के लिए कहा है। दरअसल, इस भिखारी को पुलिस ने कचड़े के ढेर में मरने के लिए फेंक दिया था।
आयोग का कहना है कि सरकार यह पैसा दोषी पुलिसकर्मियों की तनख्वाह में से काटकर वसूल करे।
एनएचआरसी ने 10 जनवरी को दिए अपने आदेश में राज्य सरकार से यह सिफारिश भी की है कि वह उस भिखारी के पुनर्वास की दिशा में सक्रिय कदम उठाए और उसे दिए गए मुआवजे का सबूत और पुनर्वास रिपोर्ट आयोग को सौंपे।
भिखारी को कचड़े में डालने की चौंकाने वाली घटना दो जून, 2009 को हुई थी। पुलिस ने 47 वर्षीय विकलांग भिखारी शेल्टन मेसियर को यहां कूड़े में फेंकने वाले पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर) वैन के कर्मचारी को इस मामले में क्लीन चिट दे दी थी।
राज्य सरकार से मामले की पूरी रिपोर्ट तैयार कर 19 फरवरी तक उसे आयोग को सौंपने के लिए कहा गया है।
गौरतलब है कि एक व्यवसायी ने पुलिस में शिकायत की थी कि एक बीमार भिखारी उसके व्यावसायिक परिसर के बाहर शोर कर रहा है। उसकी इस शिकायत पर हैड कांस्टेबल पी. महामह और पुलिस चालक आर.आर. तमसे ने भिखारी को वहां से उठाकर कचड़े के ढेर में पटक दिया था जबकि उस रात बारिश हो रही थी।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।