विधायक की हत्या की न्यायिक जांच की मांग
कांग्रेस प्रवक्ता प्रेम चंद मिश्रा ने कहा, "कांग्रेस ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा इस मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की है, क्योंकि हमें राज्य सरकार द्वारा दिए गए पुलिस जांच के आदेश पर भरोसा नहीं है।"
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) भी न्यायिक जांच के पक्ष में है।
पार्टी की नेता मीना तिवारी ने कहा, "यदि प्रदेश सरकार महिला को न्याय दिलाना चाहती है तो उसे इस मामले की न्यायिक जांच के आदेश देने चाहिए।"
तिवारी ने कहा कि उनकी पार्टी ने अध्यापिका रूपम पाठक को पर्याप्त सुरक्षा दिए जाने की मांग की है। न्यायिक हिरासत के दौरान पाठक का कटिहार चिकित्सा महाविद्यालय में उपचार चल रहा है।
उन्होंने कहा, "उसकी जान को खतरा हो सकता है। हो सकता है कुछ लोग इस मामले में सच्चाई को छुपाना चाह रहे हों।"
उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी द्वारा केसरी को क्लीन चिट देने और पाठक को ब्लैकमेलर बताए जाने के विरोध में भाकपा (माले) ने जुलूस भी निकाला।
तिवारी ने कहा, "बिहार में भाजपा का नेतृत्व कर रहे सुशील कुमार मोदी का यह रवैया बेहद शर्मनाक है कि वह उस महिला को ब्लैकमेलर बता रहे हैं, जिसने उनकी पार्टी के एक विधायक पर बलात्कार का आरोप लगाया है।"
लोजपा नेता पशुपति कुमार पारस ने कहा कि बिहार सरकार को इस मामले की न्यायिक जांच के आदेश देने चाहिए।
गैर सरकारी संगठन, नारी गुंजन की संचालक, सामाजिक कार्यकर्ता सुधा वर्गीज ने कहा कि जांच पूरी होने से पहले ही प्रशासन निर्णय पर पहुंच गया है।
उन्होंने कहा, "मैं मोदी और उन भाजपा नेताओं के बयानों से दुखी हूं, जिन्होंने पहले ही अपना निर्णय घोषित कर दिया है और पुलिस पाठक के खिलाफ किसी भी हाल में कार्रवाई करने में जिस तरह की तत्परता दिखा रही है, उससे भी मुझे दुख है।"
एक पुलिस अधिकारी ने आईएएनएस को पूर्णिया से फोन पर बताया कि स्कूल अध्यापिका ने पिछले वर्ष केसरी पर तीन वर्षो से बलात्कार करने का आरोप लगाया था और उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया था।
पुलिस अधिकारी ने कहा, "लेकिन बाद में महिला ने बलात्कार के आरोप वापस ले लिए थे। यह एक जांच का विषय है कि आखिर किस कारण से वह ऐसा करने के लिए विवश हुई।"
एक स्थानीय राजनीतिक कार्यकर्ता ने आईएएनएस को बताया कि पाठक ने अक्टूबर-नवम्बर में हुए बिहार विधानसभा चुनाव के पहले बलात्कार के आरोप इसलिए वापस ले लिए थे, क्योंकि केसरी ने भारी धनराशि देने का पाठक को वादा किया था। केसरी पूर्णिया सीट से चुनाव लड़ रहे थे।
कार्यकर्ता ने कहा, "लेकिन चुनाव जीतने के बाद केसरी ने रूपम को कोई पैसा नहीं दिया।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।