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बोफोर्स मामला : जिसने लिखी भारत में भ्रष्ट्राचार की नई दास्तां

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नई दिल्ली। साल 2010 यूपीए सरकार के लिए बहुत बुरा साबित हुआ है, उसके ऊपर लगातार भ्रष्ट्राचार के आरोप लगते रहे, यूपीए के इसी करनी के कारण साल 2010 घोटालों का साल कहलाया। लेकिन लगता है कि यूपीए के लिए अभी मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है। तभी तो एक बाऱ फिर से बोफोर्स मामला चर्चा में आ गया है।

इनकम टैक्स अपीलियेट ट्रिब्यूनल (आईटीएटी) ने कहा है कि बोफोर्स तोपों के सौदे के मामले में विन चड्ढा को कमिशन मिला था। उस कमिशन पर इनकम टैक्स बनता है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने बोफोर्स केस के आरोपी विन चड्ढा पर 1987-88 और 1988-89 के लिए 52 करोड़ और 85 लाख रुपये का क्लेम किया था। चड्ढा के बेटे ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के दावे के खिलाफ अपील दाखिल की थी।


क्या है बोफोर्स मामला

बोफोर्स सौदा 1986 में हुआ था और यह 1437 करोड़ रुपये का आंका गया था। सौदे में दलाली के आरोपों पर सीबीआई ने 1990 में केस दर्ज किया था। लंबी छानबीन के बाद इस मामले में एस. के. भटनागर, विन चड्ढा, क्वात्रोकी, मार्टिन आरड्बो, एबी बोफोर्स और हिंदुजा बंधुओं के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। हिंदुजा बंधुओं को अदालत ने आरोप मुक्त कर दिया, जबकि क्वात्रोचि को छोड़ अन्य आरोपी सुनवाई के दौरान भगवान को प्यारे हो गए।

लेकिन सुनवाई के दौरान क्वात्रोचि कभी अदालत के सामने पेश नहीं हुआ। वह 1993 में भारत छोड़ गया। उसके नाम अदालत ने गैर-जमानती वॉरंट जारी किया, जिसके बाद सीबीआई ने इंटरपोल की मदद से उसके नाम रेड कॉर्नर नोटिस जारी करवाया। क्वात्रोचि की विदेश में दो बार गिरफ्तारी भी हुई लेकिन सीबीआई उसका प्रत्यर्पण नहीं करवा पाई।

बोफोर्स केस की कहानी

24 मार्च 1986
भारत सरकार और स्वीडन की हथियार कंपनी एबी बोफोर्स के बीच 1.5 करोड़ डॉलर का सौदा हुआ।

16 अप्रैल 1987
स्वीडिश रेडियो का दावा कि भारतीय नेताओं और सीनियर आर्मी अफसरों को सौदे में दलाली दी गई।

20 अप्रैल 1987
पीएम राजीव गांधी ने लोकसभा को भरोसा दिलाया कि न सौदे में न बिचौलिए थे न दलाली दी गई।

18 जुलाई 1989
सौदे की जांच के लिए गठित जॉइंट पार्लियामेंटरी कमिटी ने अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की।

26 दिसंबर 1989
वी. पी. सिंह सरकार ने बोफोर्स को भारत के साथ सभी सैन्य सौदों के लिए प्रतिबंधित कर दिया।

29/30 जुलाई 1993
इटली का बिजनेसमैन क्वात्रोकी गिरफ्तारी से बचने के लिए भारत से बाहर चला गया।

30 जनवरी 1997
सीबीआई ने बोफोर्स केस की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम का गठन किया।

4 फरवरी 2004
दिल्ली हाई कोर्ट ने राजीव गांधी को बोफोर्स मामले में क्लीन चिट दे दी।

अक्टूबर 2008
अटॉर्नी जनरल ने सुझाव दिया कि सीबीआई क्वात्रोकी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस पस ले सकती है।

29 सितंबर 2009
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को क्वात्रोकी के खिलाफ केस वापस लेने के फैसले से अवगत कराया।

English summary
The final verdict on a plea by the Central Bureau of Investigation (CBI) to shut the Bofors payoff case, especially on prosecuting Italian businessman Ottavio Quattrocchi, has been deferred to Thursday.
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