बोफोर्स मामले में सुनवाई 6 जनवरी तक टली
दिल्ली की तीस हजारी अदालत में सीबीआई की यह याचिका ऐसे समय में पेश की गई है, जब एक दिन पहले ही एक आयकर न्यायाधिकरण ने अपने फैसले में कहा है कि क्वात्रोच्चि और उसके साथी विन चड्ढा ने 1986 में होवित्जर तोपों के लगभग 15 अरब रुपये के सौदे में सरकारी नीति के खिलाफ 41.20 करोड़ रुपये की दलाली ली थी। अदालत 6 जनवरी को अपना फैसला सुना सकती है।
सीबीआई की याचिका का विरोध करते हुए अधिवक्ता अजय अग्रवाल ने दावा किया कि सीबीआई के पास क्वात्रोच्चि के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, फिर भी वह इस मामले को दफन करना चाहती है। सीबीआई क्वात्रोच्चि के प्रत्यर्पण में दो बार विफल हो चुकी है। पहली बार 2003 में सीबीआई क्वात्रोच्चि को मलेशिया से प्रत्यर्पित कराने में और दूसरी बार 2007 में अर्जेटिना से प्रत्यर्पित कराने में विफल रही है।
सीबीआई
ने
1999
में
पूर्व
रक्षा
सचिव
एस.के.भटनागर,
क्वात्रोच्चि,
चड्ढा,
बोफोर्स
के
पूर्व
प्रमुख
मार्टिन
आर्डबो
और
बोफोर्स
कम्पनी
के
खिलाफ
आरोप
दायर
किया
था।
भटनागर,
आर्डबो
और
चड्ढा
का
निधन
हो
चुका
है।
इस
मामले
में
जीवित
बचे
आरोपियों
में
एक
मात्र
क्वात्रोच्चि
ही
है।
लेकिन
वह
भारत
में
आज
तक
किसी
भी
अदालत
में
पेश
नहीं
हुआ
है।