अमीरात में मृत्यदंड का सामना कर रहे भारतीयों को राहत
समाचार पत्र 'खलीज टाइम्स' में शुक्रवार को प्रकाशित एक रपट के अनुसार पीड़ित पाकिस्तानी परिवार चाहता है कि यदि सजायाफ्ता भारतीय मुआवजे के लिए राजी न हों तो उन्हें मौत की सजा दे दी जाए।
पीड़ित परिवार ने पिछली सुनवाई तक इस तरह के किसी समझौते से इंकार कर दिया था और उसने कहा था कि सभी 17 भारतीयों को शारजाह शरिया अदालत द्वारा दिए गए फैसले के अनुसार सजा दे दी जाए।
ज्ञात हो कि इन सभी भारतीयों को शारजाह की एक अदालत ने मार्च 2010 में अनधिकृत शराब के व्यापार को लेकर हुई लड़ाई के बाद एक पाकिस्तानी व्यक्ति की हत्या करने और जनवरी 2009 में तीन को घायल करने के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी। इनमें से 16 व्यक्ति पंजाब के है और एक हरियाणा का है। हत्या की घटना शारजाह के साजा इलाके में घटी थी।
पीड़ित परिवार के एक प्रतिनिधि द्वारा नया आवेदन प्रस्तुत किए जाने के बाद अपीली अदालत ने बुधवार की सुनवाई 17 फरवरी, 2011 के लिए स्थगित कर दी।
पीड़ित परिवार के एक आधिकारिक प्रतिनिधि ने अदालत से कहा, "पीड़ित परिवार 'दिया' सहित मुआवजा चाहता है। यदि बचाव पक्ष मुआवजा देने से इंकार करे तो सभी को मौत की सजा दे दी जाए।"
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि न्यायाधीश अब्दुल यूसुफ अल शम्सी की अध्यक्षता वाले न्यायाधीश अहमद लबीब और सरकारी वकील मुस्तफा अल बारोडी के अदालती दल ने समझौता पत्र, बचाव पक्ष के वकीलों को सौंप दिया। बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि वह इस पस्ताव पर बचाव पक्ष के परिजनों से और दुबई स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास के एक प्रतिनिधि से चर्चा करेंगे।
बचाव दल के आधिकारिक प्रवक्ता मोहम्मद सलमान ने कहा कि उनके मुवक्किल समझौता स्वीकार करेंगे और पीड़ित परिवार को मुआवजा देंगे।
दुबई स्थित भरतीय वाणिज्य दूतावास के एक प्रवक्ता ने कहा, "अगली सुनवाई 17 फरवरी को है। हमारे वकील इसकी तैयारी कर रहे हैं।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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