परिवार से बिछुड़े बच्चों का मसीहा है भुट्टो का पूर्व हज्जाम

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पेशे से नाई अनवर ने अपना यह मिशन 1988 में शुरू किया था और इसके लिए 2001 में उन्होंने खिदमत-ए-मासूम कल्याण ट्रस्ट की स्थापना की।

स्थानीय समाचार पत्र 'डान' के मुताबिक इस ट्रस्ट का मुख्य कार्य खोए हुए बच्चों को खोजना और उन्हें उनके माता-पिता से मिलाना है। इसके अलावा अनवर बुजुर्ग और परित्यक्त लोगों के अलावा बेघर बच्चों की भी मदद करते हैं।

सिंध प्रांत के लरकाना शहर में स्थित यह ट्रस्ट स्थानीय लोगों के दान से संचालित होता है।

पिछले एक साल में अनवर ने 529 खोए हुए बच्चों को उनके परिवार से मिलाया है। इन बच्चों में 338 लड़के और 191 लड़कियां हैं।

अनवर को उनके इस कार्य के लिए पाकिस्तान सरकार ने देश का चौथे सबसे बड़े सम्मान तमगा-ए-इम्तियाज से नवाजा था।

अनवर ने समाचार पत्र 'डॉन' को बताया कि कैसे उनके काम से कई दुखी परिवारों में बदलाव आया।

अनवर ने कहा कि जब भी अपने परिवार से बिछड़ा हुआ कोई बच्चा मिलता है तो पुलिस और आम लोग उन्हें इसकी जानकारी देते हैं। उन्होंने कहा, "मेरा काम बिछड़े हुए बच्चे के माता-पिता को ढूढ़ना और उनके मिलने तक बच्चे की देखभाल करना होता है।"

अनवर ने कहा कि वह लरकाना जिले में इस तरह के और केंद्र खोलना चाहते हैं लेकिन इसके लिए सरकार से उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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