अफ़्रीका को बिजनेस के जरिए हड़प रहा है चीन
अफ़्रीका में चीन के बढ़ते प्रभाव पर कुछ देशों का मानना है कि अफ़्रीकी महाद्वीप में जैसे-जैसे चीन जुड़ता जाएगा, वैसे-वैसे इन देशों में भ्रष्टाचार और बढ़ेगा, और मानवाधिकार और पर्यावरण मुद्दों को लेकर स्थिति बिगड़ेगी. चीन अब अफ़्रीका का सबसे बड़ा व्यापारिक साझीदार है. 2010 में द्विपक्षीय व्यापार 43 फ़ीसदी बढ़कर 115 अरब डॉलर हो गया है.
चीन की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के लिए उसे तेल, गैस और खनिज पदार्थों की ज़रूरत है जबकि अफ़्रीका को आधारभूत ढाँचा विकसित करने के लिए निवेश की आवश्यकता है.
नीति पर सवाल
लेकिन कई देशों ने चीन पर आरोप लगाया है कि वो अफ़्रीकी संपदा को एक तरह से हड़प रहा है और वो पश्चिमी देशों की तरह अफ़्रीकी देशों पर कोई शर्त भी नहीं लगा रहा. कई पश्चिमी देश अफ़्रीका को सहायता देने से पहले उस मदद को वहाँ मानवाधिकार मुद्दों से जोड़ते हैं.
जहाँ कुछ देशों ने चीन की इस नीति का स्वागत किया है कि वो राजनीति को अर्थशास्त्र से अलग रखता है वहीं कुछ देश ये सवाल पूछ रहे हैं कि क्या उन्हें राजनीतिक सुधार की क़ीमत पर तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था की चीनी नीति अपनानी चाहिए या फिर अपना अलग रास्ता चुनना चाहिए.
अफ़्रीका पर जारी किए गए चीनी नीति पत्र में कहा गया है कि चीन इस संबंध को और विस्तार देना चाहता है और नए स्तर पर ले जाना चाहता है. अफ़्रीका में बढ़ रहे चीनी प्रभाव को लेकर अमरीका भी असहज महसूस कर रहा है. हाल ही में विकीलीक्स के दस्तावेज़ों में कहा गया है कि अमरीका अफ़्रीका में चीन की गतिविधियों पर लगातार नज़र रखे हुए है.