चीन का नत्थी वीजा पर चर्चा का सुझाव, 100 अरब डॉलर के कारोबार का लक्ष्य (लीड-3)
दोनों नेताओं की वार्ता के बाद विदेश सचिव निरुपमा राव ने कहा कि जियाबाओ ने सुझाव दिया कि जम्मू एवं कश्मीर के नागरिकों को नत्थी वीजा जारी नहीं करने की भारत की मांग के बारे में दोनों देशों के अधिकारी चर्चा कर सकते हैं। राव ने कहा कि इससे पहले कि भारतीय अधिकारी नत्थी वीजा का मामला उठाते, जियाबाओ ने स्वयं ही यह मामला उठा दिया।
उन्होंने कहा कि जियाबाओ ने कहा कि दोनों पक्षों के अधिकारी इस मसले पर गहन विचार-विमर्श कर सकते हैं ताकि इस मसले को संतोषजनक ढंग से सुलझाया जा सके। राव ने कहा, "गेंद उन्हीं के पाले में है। मैं इसका खंडन नहीं करूंगी।"
यह पूछने पर कि भारतीय पक्ष ने चीन को यह स्पष्ट किया है कि जम्मू एवं कश्मीर की भारत के लिए वही अहमियत है जो तिब्बत की चीन के लिए है, राव ने कहा, "चीन हमारे रुख से भली-भांति अवगत है।"
दोनों एशियाई दिग्गजों ने व्यापार और निवेश बढ़ाने तथा अन्य व्यापारिक मुद्दों पर सुझाव देने के लिए भारत-चीन मुख्य कार्यकारी अधिकारी फोरम के गठन की भी घोषणा की। वार्ता के बाद जारी बयान में कहा गया, "विकास हेतु विश्व में भारत और चीन के लिए पर्याप्त अवसर हैं और दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए पर्याप्त जगह हैं।"
इसके अलावा दोनों देशों ने चीन में भारतीय निर्यात को बढ़ाने के लिए कदम उठाने की बात कही है। वर्तमान में द्विपक्षीय व्यापार का संतुलन चीन के पक्ष में है और चालू वित्त वर्ष में भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा बढ़कर 24 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है।
पिछले वित्त वर्ष में दोनों देशों के बीच 51 अरब डॉलर का व्यापार हुआ और इस साल इसके 60 अरब डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। वर्ष 2005 में दोनों देशों के बीच केवल 15 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था।
लेकिन पिछले वित्त वर्ष में भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार देश चीन को द्विपक्षीय व्यापार में 19 अरब डॉलर का फायदा हुआ जबकि 2002 में यह आंकड़ा एक अरब डॉलर से भी कम था। इस कारण भारतीय पक्ष में चिंता व्यक्त की जा रही है। भारत ने चीन से बाजार तक और ज्यादा पहुंच देने का अनुरोध किया है।
दोनों पक्षों ने आधारभूत संरचना, पर्यावरण संरक्षण, सूचना प्रौद्योगिकी, दूरसंचार, निवेश और वित्त के क्षेत्र में भी सहयोग बढ़ाने पर सहमति जाहिर की। भारत ने सड़क, रेलवे और निर्माण क्षेत्र में चीन के निवेश का स्वागत किया। बयान में भारतीय रिजर्व बैंक और चीनी बैंकिंग नियामक आयोग के बीच सहयोग बढ़ाने की भी बात कही गई है। दोनों देशों के बीच मीडिया, संस्कृति और पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकी सहित विभिन्न क्षेत्रों में छह समझौतों पर हस्ताक्षर हुए।
भारत ने चीन को पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद के प्रति अपनी चिंताओं से अवगत कराया है। राव ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, "पाकिस्तान की ओर से फैलाए जाने वाले आतंकवाद के प्रति अपनी चिंताओं से हमने अवगत करा दिया गया है।"
भारत ने चीन से कहा कि इन वैध चिंताओं के दूर होने पर ही पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्ते ठोस ढंग से आगे बढ़ेंगे। चीन पाकिस्तान को अपना 'गहरा दोस्त' मानता है।
राव ने कहा कि भारत चाहता है कि पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवाद और पाकिस्तान में मौजूद भारत-विरोधी एजेंडे वाले आतंकवादियों की गतिविधियां बंद हो जाएं। चीन से कहा गया कि आतंकवाद पर काबू पाना स्वयं पाकिस्तान के हित में है।
उन्होंने कहा, "चीन को भी भारत की चिंताओं पर गौर करने की जरूरत है। वास्तविकता यह है कि आतंकवाद का मसला हल होने पर ही क्षेत्र में स्थिरता आएगी। इसका प्रभाव चीन पर भी होगा।"
राव ने कहा, "जियाबाओ ने शिनजियांग में आतंकवाद का जिक्र किया और 2008 के मुम्बई आतंकी हमले पर सहानुभूति व्यक्त की।"
राव ने भारत और चीन के रिश्तों को नाजुक बताने सम्बंधी भारत में चीन के राजदूत के बयान से असहमति व्यक्त करते हुए कहा कि दोनों देशों के सम्बंध दरअसल दो या तीन दशक पहले की तुलना में अब बहुत ज्यादा स्थिर हैं।
भारत और चीन के विदेश मंत्री अब से हर साल मुलाकात करेंगे। राव ने कहा कि जियाबाओ और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बीच विचार-विमर्श के दौरान उनमें 'प्रबल निजी तालमेल' देखा गया। जियाबाओ की अप्रैल 2005 की भारत यात्रा के बाद से मनमोहन सिंह और उनकी यह 11वीं बैठक थी।
राव ने कहा कि जियाबाओ की 2005 की यात्रा कई तरह से हमारे सम्बंधों के लिए 'आमूल-चूल बदलाव लाने वाली' साबित हुई।
उन्होंने कहा, "दोनों प्रधानमंत्रियों के निजी रिश्तों की झलक उस समय भी मिली जब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कल रात वेन के लिए रात्रिभोज दिया।"
भारत और चीन के प्रधानमंत्रियों के बीच हॉटलाइन सम्पर्क तीन या चार दिन पहले ही शुरू हो चुका है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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