बेहतर सम्बंधों की आस के साथ शुरू हुई मनमोहन-जियाबाओ वार्ता (लीड-1)
भारत की तीन दिन की यात्रा पर बुधवार यहां पहुंचे जियाबाओ ने दोनों देशों की मैत्री को बुलंदी तक ले जाने पर जोर दिया।
चीन के प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति भवन में संवाददाताओं से कहा, "अपने संयुक्त प्रयासों से हम 21वीं सदी में अपनी मित्रता और सहयोग को शीर्ष स्तर तक ले जाने में सक्षम होंगे।" राष्ट्रपति भवन में जियाबाओ का रस्मी स्वागत किया गया। राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यहां गर्मजोशी से जियाबाओ की अगवानी की।
जम्मू एवं कश्मीर के निवासियों को नत्थी वीजा जारी करने जैसी भारत की चिंताओं के बीच वेन ने कहा, "हम वार्ता के दौरान रणनीतिक सहमति पर पहुंचने में सक्षम होंगे।"
उन्होंने कहा, "इस दौरे के महत्वपूर्ण परिणाम निकलेंगे।" उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि बुधवार से शुरू हुए इस दौरे से दोनों देशों के संबंध व्यापक बनेंगे।
वेन जियाबाओ के साथ शिष्टमंडल स्तरीय बैठक से पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत और चीन के बीच सशक्त भागीदारी एशिया की दीर्घकालिक शांति और सुरक्षा में योगदान देगी। उन्होंने कहा कि तीव्र आर्थिक विकास ने सहयोग की सम्भावनाओं के नए द्वार खोले हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले पांच वर्षो में वह जियाबाओ और चीन के राष्ट्रपति हू जिन्ताओ सहित चीन के नेताओं से 20 बार मुलाकात कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि यह दोनों देशों के बीच 'सम्पर्कों की प्रबलता' को दर्शाता है।
जियाबाओ और उनके साथ आए उच्च स्तरीय शिष्टमंडल का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी इस यात्रा से दोनों देशों के सम्बंधों को 'नया बल' तथा 'प्रगति एवं स्थायित्व' के नए अवसर मिलेंगे।
दोनों नेताओं ने यहां हैदराबाद हाउस में शिष्टमंडल स्तरीय वार्ता के लिए जाने से पूर्व गर्मजोशी से हाथ मिलाए। इस वार्ता का उद्देश्य दोनों देशों के बीच विश्वास कायम करना और जम्मू एवं कश्मीर के निवासियों को नत्थी वीजा जारी करने जैसी भारत की चिंताएं दूर करना।
दोनों पक्षों के बीच कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर होने की सम्भावना है। इनमें मीडिया से लेकर सांस्कृतिक आदान-प्रदान और पानी सम्बंधी आंकड़े साझा करने आदि जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इसके अलावा दोनों देशों के नेताओं के सीधे संपर्क के लिए हॉटलाइन स्थापित करने की घोषणा करने की उम्मीद है।
पिछले पांच वर्षो में जियाबाओ की यह दूसरी भारत यात्रा है। उनके साथ 400 लोगों का व्यापारिक शिष्टमंडल भी आया है।
बुधवार को प्रधानमंत्री ने जियाबाओ के सम्मान में अपने आवास पर निजी रात्रिभोज दिया था और नत्थी वीजा के बारे में उन्हें भारत की चिंताओं से अवगत कराया था। विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि बदलती दुनिया में दोनों देशों में इस बारे में सहमति बनी कि वे प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि सहभागी हैं।
समझा जाता है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी के लिए चीन से समर्थन भी मांगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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