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फ़ीफ़ा अधिकारियों पर घूस लेने का इल्ज़ाम

By Staff
रिकार्डो टेईक्सेरा (बाएं), इस्सा हयातू और निकोलस लियोज़ (दाहिनी ओर)वर्ष 2018 में फ़ुटबॉल विश्व कप कहां होगा इस का फ़ैसला दो दिसंबर को होने वाला है लेकिन उससे पहले बीबीसी ने फ़ुटबॉल में भ्रष्टाचार के सबूत उजागर किए हैं.जो 22 लोग विश्व कप किस देश में होगा ये तय करेंगे, उनमें से तीन लोगों ने एक स्विस स्पोर्ट्स मार्केटिंग फ़र्म से घूस ली है. ये रहस्योद्घाटन सोमवार को दिखाए गए बीबीसी के कार्यक्रम पैनोरामा में किया गया है.

पैनोरामा में दिखाया गया है कि फ़ुटबॉल को चलाने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था फ़ीफ़ा की कार्यकारी समिति के तीन सदस्यों ने ये घूस आईएसएल नाम की स्विस कंपनी से ली है.निकोलास लियोज़ दक्षिण अमरीका में फ़ुटबॉल प्रशासन के प्रमुख हैं.कार्यक्रम के अनुसार दक्षिण अमरीका में फ़ुटबॉल के प्रमुख निकोलास लियोज़ ने 1989 से 1991 के बीच तीन बार गोपनीय भुगतानों में कुल छह लाख अमरीकी डॉलर प्राप्त किए.

अफ़्रीका में फ़ुटबॉल के प्रमुख इस्सा हायातू को 1995 में 20 हज़ार डॉलर के बराबर राशि दी गई.कार्यक्रम में ब्राज़ील के फ़ुटबॉल प्रमुख रिकार्डो टेईक्सेरा का भी नाम लिया गया है. स्विस कंपनी आईएसएल की सानुद नाम की एक फ्रंट कंपनी लिकटेंस्टीन में स्थित है जिसे कुल साढ़े नौ लाख अमरीकी डॉलर का भुगतान किया गया है.

रिकार्डो टेईक्सेरा के वर्ष 2001 में ब्रीज़ील की सीनेट की एक जांच में सानुद के साथ नज़दीकी संबंध पाए गए थे. ये पाया गया है कि सानुद को दिए गए पैसे गोपनीय रूप से टेईक्सेरा की एक कंपनी के माध्यम से उनतक पहुंचाए गए.फ़ीफ़ा ने तीन अधिकारियों पर लगे आरोपों पर टिप्पणी करने से इंकार किया है.

रिकार्डो टेईक्सेरा ने बीबीसी के कार्यक्रम पैनोरामा के इस विषय पर प्रतिक्रिया देने के निवेदक का कोई जवाब नहीं दिया है.फ़ीफ़ा ने भी इन तीन लोगों के बारे में टिप्पणी करने से इंकार किया है.लेकिन फ़ीफ़ा अध्यक्ष सेप ब्लेटर ने कहा है कि वर्ष 2008 के एक मुक़द्दमें में आईएसएल के पूर्व अधिकारियों को दोषमुक्त पाया गया था. उन्होंने कहा, "इस बात पर ज़ोर देना आवश्यक है कि उस कार्यवाही में कोई भी फ़ीफ़ा अधिकारी आपराधिक मामले का अभियुक्त नहीं था."

वर्ष 2018 में फ़ुटबॉल विश्व कप कहां होना है इस फ़ैसला गुरुवार को होगा. इस दौड़ में इंग्लैंड,रुस,स्पेन और पुर्तगाल शामिल हैं.इंग्लैंड में विश्व कप करवाने की कोशिशों में लगी टीम ने बीबीसी के इस कार्यक्रम की आलोचना की है. लेकिन बीबीसी का कहना है कि ये कार्यक्रम जनहित में प्रसारित किया गया है.

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Story first published: Tuesday, November 14, 2017, 12:12 [IST]
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