सरकार ने कहा, न्यायिक पदों के लिए भी है ईमानदारी का नियम (लीड-2)
महान्यायवादी जी.वाहनवती ने प्रधान न्यायाधीश एस.एच.कपाड़िया के नेतृत्व वाली पीठ को बताया कि संविधान के अनुसार विशुद्ध ईमानदारी व निष्ठा का मापदंड हर नियुक्ति के लिए है।
इसके पहले अदालत ने सरकार से पूछा था कि क्या केंद्रीय सतर्कता आयुक्त पी.जे.थामस अपने खिलाफ लगे विभिन्न आरोपों के बीच प्रभावी रूप से काम कर सकते हैं।
इस बीच सरकार ने थामस की नियुक्ति से सम्बंधित सभी विवरण अदालत को सौंप दिए हैं। इसमें प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृह मंत्री पी.चिदम्बरम और लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज के बीच हुए विचार-विमर्श का विवरण भी शामिल है।
न्यायालय थामस को केंद्रीय सतर्कता आयुक्त नियुक्त किए जाने के खिलाफ सेंटर फार पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिसमें कहा गया है कि थामस के खिलाफ पामोलीन खाद्य तेल आयात घोटाले में आरोप पत्र दायर किया जा चुका है। यह घोटाला तब हुआ था जब थामस केरल में सचिव पद पर कार्यरत थे।
थामस वर्ष 1992 में कांग्रेस सरकार के समय खाद्य सचिव थे, उन पर मलेशिया से महंगे दामों पर खाद्य तेल आयात करने के आरोप लगे थे। इससे सरकार को 2.8 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होने का अनुमान है।
वर्ष 2000 में थामस के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया था लेकिन अब तक आरोप तय नहीं किए गए हैं।
न्यायालय ने सोमवार को सरकार से पूछा कि थामस के खिलाफ मामला अभी भी लंबित है या खत्म हो चुका है।
महान्यायवादी ने कहा कि मामला अभी लंबित है। आरोपपत्र दाखिल किया गया है लेकिन आरोप तय नहीं हुए हैं।
याचिकाकर्ता के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट में थामस को आरोपी बनाया गया है।
न्यायालय ने कहा, "हम केवल इस बात को लेकर चिंतित हैं कि यह पद गैर कार्यात्मक हो जाएगा।"
अदालत ने आश्चर्य व्यक्त किया कि जो व्यक्ति आरोपी है और जो आरोप पत्र का सामना कर रहा है, वह किसी निगरानी संस्था का नेतृत्व कैसे कर सकता है।
अदालत ने महान्यायवादी से कहा कि दो सप्ताह बाद जब मामले की सुनवाई होगी तो इस तर्ज पर बहस करने के लिए तैयार रहें।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।