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नोबेल समिति ने सू ची को स्वागत भाषण के लिए आमंत्रित किया
सूची को लोकतंत्र और मानवाधिकारों के लिए उनके संघर्ष के मद्देनजर वर्ष 1991 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार इस पुरस्कार को औपचारिक रूप से स्वीकार करने के लिए वह ओस्लो नहीं जा सकीं क्यों कि वह नजरबंद थीं।
सूची को वर्षो बाद म्यांमार की सैन्य सरकार ने शनिवार को रिहा कर दिया। नोबेल पुरस्कार के लिए चुने जाने के वक्त वक्त सू ची ओस्लो नहीं गई क्योंकि उन्हें इस बात का डर था कि सैन्य सरकार उनको म्यांमार में नहीं घुसने देगी। इसके बाद उनके पति ने यह पुरस्कार लिया था।
सू
ची
को
इसका
खतरा
इस
बार
भी
है।
इसके
मद्देनजर
नोबेल
समिति
के
प्रमुख
थॉर्बजर्न
जैगलैंड
ने
कहा
कि
वह
म्यांमार
की
सरकार
ने
इस
बात
की
गारंटी
लेंगे
कि
सू
ची
को
उनके
देश
में
घुसने
से
नहीं
रोका
जाएगा।
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