नई दिल्ली। एक बाऱ फिर से सीबीआई सबूतों को इक्ट्ठा करने में असफल साबित हुई है और कोई अपराधी सबूतों के अभाव के चलते जेल से रिहा हो गया। जी हां हम बात कर रहे हैं हरियाणा के बहुचर्चित केस रूचिका गिरहोत्रा की। जिस में मुख्य आरोपी और लंबे समय से इस मामले में सजा काट रहे हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौड़ को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत मिल गई है है। कोर्ट ने राठौड़ की जमानत मंजूर करते हुए उसे अपना पासपोर्ट सीबीआई के पास जमा कराने के आदेश दिए है।पढ़े : रुचिका मामला: सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट का नोटिसऔर तो और इससे पहले उसके खिलाफ दर्ज दो मामलों में सीबीआई को पर्याप्त सबूत नहीं मिल पाए। जिसकी वजह से जांच एजेंसी ने अब दोनों ही मामलों की जांच बंद करने का निर्णय लिया है। इस सिलसिले में बुधवार को सीबीआई की ओर से विशेष जज डॉक्टर अब्दुल माजिद की अदालत में क्लोजर रिपोर्ट भी दाखिल कर दी। रिपोर्ट पर सहमति के लिए कोर्ट ने पीड़ित एससी गिरहोत्रा व उनके बेटे आशु को नोटिस जारी किया है।सीबीआई ने पहला मामला रुचिका के पिता की शिकायत पर दर्ज किया था। इस मामले में गिरहोत्रा ने आरोप लगाया था कि छेड़छाड़ के तीन साल बाद रुचिका द्वारा जहर खाने पर राठौर ने पीजीआई अस्पताल चंडीगढ़ ले जाने का दबाव डाला था। फिर रुचिका का पोस्टमार्टम भी किसी मजिस्ट्रेट की देखरेख में नहीं हुआ था।सीबीआई ने दूसरा मामला रुचिका के भाई आशु की शिकायत पर दर्ज किया था। इस मामले में आशु ने पुलिस पर आरोप लगाया था कि राठौर के इशारे पर उसे चोरी के झूठे मामले में फंसाया गया था।