कांग्रेस ने जयललिता के समर्थन का प्रस्ताव ठुकराया (लीड-2)

By Staff
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इससे पहले जयललिता ने प्रस्ताव दिया कि यदि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन विवाद के कारण केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री ए. राजा को बर्खास्त किए जाने के बाद द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) समर्थन वापस ले लेती है तो उस सूरत में उनकी पार्टी कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार का समर्थन करने को तैयार है।

कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने यहां कहा, "इस वक्त यह स्पष्ट है कि डीएमके हमारी महत्वपूर्ण साझेदार है। जहां तक जयललिता के प्रस्ताव का सवाल है, यह उनकी अपनी राय है। इस पर मैं कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।"

जयललिता ने यह प्रस्ताव समाचार चैनल 'टाइम्स नाउ' के साथ एक साक्षात्कार में दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सरकार को समर्थन देने के पीछे उनकी कोई शर्त नहीं है।

तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता ने कहा कि लोकसभा में एआईएडीएमके के नौ सांसद हैं और समान विचारधारा वाली पार्टियों की मदद से 18 सांसदों का पूर्ण समर्थन दिया जा सकता है, ताकि डीएमके के 18 सांसदों की क्षतिपूर्ति हो जाए।

उन्होंने कहा कि वह इस अनुमान के आधार पर यह एकतरफा प्रस्ताव दे रही हैं कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भारी मांग के बावजूद राजा को स्पेक्ट्रम घोटाले को लेकर इसलिए नहीं बर्खास्त कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनकी सरकार का लोकसभा में बहुमत समाप्त हो जाएगा और समय से पहले चुनाव की नौबत आ जाएगी।

जयललिता ने कहा, "इसका कारण बहुत ही साधारण है। यह गठबंधन की राजनीति है। यदि स्पष्ट रूप से दो टूक शब्दों में कहा जाए तो, जाहिर तौर पर कांग्रेस महसूस करती है कि राजा के खिलाफ कोई भी कड़ी कार्रवाई करने के बाद डीएमके केंद्र सरकार से अपना समर्थन वापस ले लेगी और कमजोर गठबंधन टूट जाएगा, परिणामस्वरूप मध्यावधि चुनाव की स्थिति बन जाएगी।"

जयललिता ने चेतावनी दी है कि राजा के खिलाफ कार्रवाई करने में और विलम्ब करने से कांग्रेस की छवि और खराब होगी। राजा ने इस्तीफा देने से इंकार कर दिया है और उन्हें डीएमके प्रमुख के. करुणानिधि का पूरा समर्थन प्राप्त है।

जयललिता ने इस बात का खुलासा करने से इंकार कर दिया कि उनकी पार्टी के नौ सांसदों के अलावा वे कौन से अन्य सांसद हैं जो उनके साथ मनमोहन सिंह सरकार को समर्थन देंगे।

सरकार ने हालांकि विपक्ष की उस मांग को दृढ़ता से खारिज कर दिया है, जिसमें उसने विवादास्पद स्पेक्ट्रम आवंटन मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग की है।

संसदीय मामलों के मंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा कि जेपीसी जांच की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि सीएजी की रिपोर्ट जल्द ही संसद में पेश कर दी जाएगी।

बंसल ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, "यह रिपोर्ट संसद की सम्पत्ति होगी और संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) इसका अध्ययन करेगी और आवश्यक होने पर किसी कार्रवाई की सिफारिश करेगी।"

ज्ञात हो कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने बुधवार को अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। माना जा रहा है कि इस रिपोर्ट में संकेत किया गया है कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री ए.राजा की भूमिका रही है।

कहा गया है कि इस घोटाले के कारण सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

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