'90 प्रतिशत जनजातीय कॉलेज की शिक्षा से वंचित'
भाजपा के जनजातीय प्रकोष्ठ का तीन दिवसीय सम्मेलन छत्तीसगढ़ में मंगलवार से शुरू हुआ था।
प्रस्ताव में दावा किया गया है कि जनजातियों की 10.45 करोड़ आबादी में से 45 प्रतिशत लोग अब भी गरीबी की रेखा के नीचे जीवन जी रहे हैं।
बयान में कहा गया है, "आजादी के बाद सरकार की विकास सम्बंधी बड़ी परियोजनाओं के कारण लगभग 96 लाख जनजाति परिवारों का विस्थापन हुआ है।"
बयान में कहा गया है कि आने वाली सरकारों द्वारा मात्र 29 लाख परिवारों का ही पुनर्वास किया जा सका है, जबकि बाकी को मामूली राशि का भुगतान कर खदेड़ दिया गया है।
प्रस्ताव में आजादी के 63 साल बाद भी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध न होने को लेकर दुख व्यक्त किया गया है।
प्रस्ताव में कहा गया है, "जनजातियों को पानी, सड़क, दवा, बिजली और घर मुहैया नहीं कराए गए हैं।"
आम सहमति से पारित इस प्रस्ताव में यह भी कहा गया है कि देश में मौजूद 698 जनजातियों में से 75 की पहचान अति पिछड़े के रूप में की गई है।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।