बागियों की अयोग्यता पर अदालत की मुहर, येदियुरप्पा सुरक्षित (राउंडअप)
बेंगलुरू/नई दिल्ली, 29 अक्टूबर (आईएएनएस)। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 11 बागी विधायकों को विधानसभा से अयोग्य घोषित किए जाने को सही ठहराया। मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने जहां फैसले को दलबदलुओं के लिए सबक बताया, वहीं बागियों का कहना है कि वे अब सर्वोच्च न्यायालय जाएंगे।
अदालत के इस फैसले की वजह से येदियुरप्पा सरकार जहां सुरक्षित है वहीं उसे एक बार फिर विश्वास मत हासिल करने से निजात मिल गई।
अदालत के फैसले से सत्तारूढ़ दल में जहां खुशी है, वहीं कांग्रेस को इससे मायूसी हाथ लगी है।
येदियुरप्पा, राज्य भाजपा प्रमुख के.एस. ईश्वरप्पा, वरिष्ठ पार्टी नेता एवं कर्नाटक से राज्यसभा सदस्य एम.वेंकैया नायडू तथा अन्य भाजपा नेताओं ने अदालत के फैसले पर खुशी मनाई और मिठाइयों का आदान-प्रदान किया।
उधर, नई दिल्ली में भाजपा प्रवक्ता तरुण विजय ने कहा कि उच्च न्यायालय के फैसले से साबित हो गया कि विधानसभाध्यक्ष के.जी. बोपैया द्वारा 11 अक्टूबर को लिया गया निर्णय सही था।
वहीं कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने कहा कि अदालत ने पहले भाजपा को कर्नाटक की अपनी अल्पमत सरकार को बहुमत वाली सरकार में बदलने को कहा था। उन्होंने कहा, "इस फैसले पर वकील अपनी राय जरूर देंगे।"
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि इस फैसले को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी जाए, लेकिन यह काम सम्बंधित विधायकों का है, पार्टी इसके लिए कोई कदम नहीं उठाएगी।
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने न्यायमूर्ति वी.जी. सभाहित ने 127 पृष्ठों के अपने फैसले में विधानसभाध्यक्ष बोपैया द्वारा बागी सदस्यों को अयोग्य घोषित करने सम्बंधी 11 अक्टूबर को लिए गए फैसले का अनुमोदन किया। बागी विधायकों ने छह अक्टूबर को राज्यपाल एच.आर. भारद्वाज से कहा था कि उनका येदियुरप्पा के नेतृत्व में विश्वास नहीं है।
बोपैया ने दलबदल विरोधी कानून का सहारा लेते हुए येदियुरप्पा के नेतृत्व में विश्वास नहीं रहने की बात राज्यपाल को बताने वाले 11 बागी विधायकों को संविधान के अनुच्छेद 10 (ए) के भाग 2(1)(ए) के तहत अयोग्य करार दिया था।
अनुच्छेद 10 के भाग 2 में किसी भी सदस्य को 'दलबदल के आधार पर अयोग्य' घोषित करने का प्रावधान है और भाग (1)(ए) कहता है, "किसी भी राजनीतिक पार्टी से सम्बद्ध सदन का सदस्य अयोग्य ठहराया जाएगा, यदि उसने स्वेच्छा से अपनी सदस्यता किसी पार्टी को दी हो।"
इस मामले पर मुख्य न्यायाधीश जे.एस. खेहर और न्यायमूर्ति एन. कुमार ने 18 अक्टूबर को मसले पर सुनवाई की थी लेकिन दोनों न्यायायाधीशों के मत अगल होने की वजह से न्यायमूर्ति सभाहित के पास सुनवाई के लिए मामले को भेजा गया। अयोग्यता मामले पर सुनवाई करने वाले वह तीसरे न्यायाधीश हैं।
विधानसभाध्यक्ष द्वारा अयोग्य ठहराए गए बागी विधायक हैं-गोपाल कृष्णा बेलुरू, आनंद अस्नोतिकर, बालाचंद्र जरकिहोली, बी.एन. सार्वभौम, भारमगौड़ा एच.कागे, वाई. सम्पांगी, जी.एन. नान्जुन्दास्वामी, एम.वी. नागराजू, शिवन गौड़ा नायक, एच.एस. शंकरलिंगे गौड़ा एवं बेल्लुबी संगप्पा कलप्पा।
विधानसभाध्यक्ष ने आठ अक्टूबर को सत्तारूढ़ भाजपा के आवेदन पर विचार करते हुए इन बागी विधायकों को अयोग्य घोषित किया था। इससे पहले छह अक्टूबर को बागी विधायकों ने येदियुरप्पा सरकार से समर्थन वापस लिए जाने को लेकर राज्यपाल एच.आर. भारद्वाज को पत्र सौंपा था।
इन 11 बागी विधायकों के साथ पांच निर्दलीय विधायकों को भी समान आधार पर अयोग्य घोषित किया गया था। विधानसभाध्यक्ष ने आठ अक्टूबर को बागी विधायकों को कारण बताओ नोटिस देकर 10 अक्टूबर तक जवाब मांगा था कि पार्टी विरोधी गतिविधियों के मद्देनजर उन्हें क्यों नहीं अयोग्य घोषित कर दिया जाए।
विधानसभा में येदियुरप्पा के विश्वास मत हासिल करने के कुछ घंटों पहले ही इन 11 बागी विधायकों और पांच निर्दलीय विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया गया था।
अयोग्य घोषित किए गए पांच निर्दलीय विधायकों में शिवराज एस. तांगादागी, वेंकटारमनप्पा, पी.एम. नरेंद्र स्वामी, डी. सुधाकर और गुलीहाट्टी शेखर शामिल हैं।
उधर, पूर्व मुख्यमंत्री एवं जनता दल (सेक्युलर) के प्रदेश अध्यक्ष एच.डी. कुमारस्वामी ने कहा कि उनकी पार्टी भाजपा के बागी विधायकों को सर्वोच्च न्यायालय में संघर्ष करने में सहयोग देगी। कुमारस्वामी छह अक्टूबर को शुरू हुए राजनीतिक संकट के समय बागी भाजपा विधायकों के सम्पर्क में थे।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।