नितिन श्रीवास्तव
बीबीसी संवाददाता, दिल्ली
कविता ने दिल्ली राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के लिए पहला ऐथलेटिक्स पदक जीता
राष्ट्रमंडल खेलों में महिलाओं की 10,000 मीटर रेस में कांस्य पदक जीतने वाली भारत की कविता राउत ने अपनी जीत का सेहरा दर्शकों के सर बाँधा है.
इस उपलब्धि के साथ कविता राष्ट्रमंडल खेलों की ऐथलेटिक्स के ट्रैक स्पर्धा के व्यक्तिगत वर्ग में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गयीं हैं.
कविता की कांस्य पदक विजय के पहले 1958 में 'फ्लाईंग सिख' के नाम से जाने वाले मिल्खा सिंह ने पुरुषों की 400 मीटर की रेस में स्वर्ण पदक हासिल किया था.
शुक्रवार को दिल्ली के जवाहरलाल नेहरु स्टेडियम में करीब बीस हज़ार दर्शकों के सामने हुई 10,000 मीटर की रेस में कविता राउत ने 33:05:28 सेकण्ड में भारत के लिए कांस्य पदक जीता.
तीसरा स्थान अर्जित करने के बाद कविता का कहना था , "नेहरु स्टेडियम में मौजूद जनता का मैं शुक्रिया अदा करना चाहूंगी. क्योंकि अगर आज की रेस में दर्शकों का समर्थन नहीं होता तो शायद मैं हार भी सकती थी. पर उन्ही के समर्थन ने आज मुझे जीत दिलाई है."
राष्ट्रमंडल खेलों के ट्रैक स्पर्धा मुकाबलों में भारत ने महिलाओं की चार गुणा 400 मीटर रिले टीम ने मेलबर्न खेलों में रजत पदक जीता था. मेलबर्न खेलों में ही लांग जंपर अंजू बाबी जार्ज और चक्का फ़ेंक खिलाड़ी सीमा अंतिल ने रजत और कांस्य पदक जीते थे.
10,000 मीटर रेस में मिली कड़ी चुनौती पर कविता राउत का कहना था, "मेरी योजना यही थी कि मैं अपनी रफ़्तार से ही भागूंगी और अपना सर्वश्रेष्ट्र प्रदर्शन करुँगी. रेस के बीच में मैंने पीछे मुड कर देखा तो सभी खिलाड़ी एकदम पास ही थे. फिर मैंने भी अपनी रफ़्तार तेज़ कर दी."
कविता राउत की स्पर्धा में स्वर्ण पदक कीनिया की ग्रेस क्वाम्बोका ने जीता और उन्ही की हमवतन ने इस रेस का रजत पदक भी अपने नाम किया.
हालांकि इस स्पर्धा में दो और भारतीय धावकों प्रीजा श्रीधरन और ललिता बाबर के हाथ निराशा लगी.