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सुप्रीम कोर्ट ने शरद पवार को हड़काया

By Jaya Nigam
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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के गरीबों को मुफ्त अनाज दिये जाने संबंधी निर्णय पर केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने साफ इंकार कर दिया था और कहा था कि भले ही सरकारी गोदामों में अनाज सड़ जाए लेकिवन वे इसे मुफ्त नहीं बांट सकते। इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने कमेंट किया है कि वह निर्णय कोई सुझाव नहीं था बल्कि एक कानूनी आदेश था। यकीनन शरद पवार के इस बयान से लोकतांत्रिक देश भारत की सर्वोच्च संस्था सुप्रीम कोर्ट की भयानक अवहेलना हुई है।

सुप्रीम कोर्ट ने बेहद संतुलित और संक्षिप्त लहजे में सरकार के वकील से कहा कि ये उसका सुझाव नहीं बल्कि आदेश था। पवार ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था "सर्वोच्च न्यायालय के इस आदेश का क्रियान्वयन संभव नहीं है।" हालांकि पवार ने न्यायालय के इस आदेश को सुझाव करार दिया था। न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी और न्यायमूर्ति दीपक वर्मा की एक खंडपीठ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल मोहन पारशरन से कहा, "अपने मंत्री से कहिए कि इस तरह की टिप्पणी न करें। हमने जो कहा वह आदेश है, सुझाव नहीं।"

गैरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 अगस्त को निर्णय दिया था कि केंद्र सरकार भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों में सड़ रहे अनाज को गरीब लोगों में मुफ्त बांट दे। न्यायमूर्ति भंडारी और वर्मा की पीठ ने फैसला सुनाया था, "इसे बर्बाद होने देने के बजाय आप इसे गरीब लोगों में बांट दें।"

न्यायालय ने कहा था कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि प्रत्येक राज्य में बड़े गोदाम बनाने के बजाय विभिन्न जिलों में गोदाम बनाए जाएं और सार्वजनिक वितरण प्रणाली प्रक्रिया को कम्प्यूटरीकृत किया जाए। न्यायालय ने यह आदेश नागरिक अधिकार संगठन पीयूसीएल द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया था।

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