ब्लैकबेरी को और मिली मोहलत
इसके बाद सरकार ने प्रतिबंध को फ़िलहाल टालने का फ़ैसला किया है और कहा है कि सरकार इन साठ दिनों में यह देखने का प्रयास करेगी कि कंपनी निगरानी की जो सुविधा मुहैया करवा रही है वह ज़रुरत के मुताबिक़ पर्याप्त है या नहीं.इससे पहले सरकार ने ब्लैकबेरी को 31 अगस्त तक की मोहलत दी थी और कहा था कि यदि तब तक यदि कंपनी अपने आंकड़ों की निगरानी का इंतज़ाम नहीं करती है तो उस पर प्रतिबंध लगा दिया जाएगा.
लेकिन इससे पहले ही सोमवार को भारत सरकार के अधिकारियों और मोबाइल कंपनी के अधिकारियों के बीच एक बैठक हुई जिसमें यह फ़ैसला किया गया.सुरक्षा एजेंसियाँ दो सेवाओं 'बिजनेस इंटरप्राइजेज सर्विसेस' (बीआईएस) और 'एसएमएस' तक निगरानी की सुविधा चाहती हैं.
चिंता
इसके पहले ब्लैकबैरी बनाने वाली कनाडाई कंपनी रिसर्च इन मोशन (आरआईएम) ने कहा था कि वह सरकारों को मोबाइल के जरिए भेजे जाने वाले संदेशों की निगरानी की अनुमति नहीं दे सकती है.कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी माइक लैज़ारिदिस ने एक अमरीकी अख़बार को दिए साक्षात्कार में कहा था कि इस तरह की अनुमति देने से ग्राहकों के साथ उसके रिश्तों को आँच आएगी.उनका कहना था कि इन सुविधाओं से कोई समझौता नहीं किया जा सकता है क्योंकि इसी ने तो ब्लैकबेरी को दुनिया की नंबर वन कंपनी बनाया है.
भारत में इस समय ब्लैकबेरी के ग्राहकों की संख्या क़रीब दस लाख है.
कुछ समय पहले गृह मंत्रालय ने सभी तरह की ईमेल और एसएमएस की निगरानी को ज़रूरी बताया था. मंत्रालय ने दूरसंचार विभाग से कहा था कि आरआईएम के लिए भी निगरानी के इस नियम को मानना ज़रूरी है.भारत सरकार का कहना है कि अगर निगरानी की सुविधा न रहे तो इसका दुरुपयोग चरमपंथी गतिविधियों के लिए भी किया जा सकता है.
ख़बरें है कि अब आरआईएम भारत में अपना सर्वर लगाने की तैयारी कर रहा है जिससे कि भारतीय एजेंसियों को सीमित निगरानी की सुविधा दी जा सके.भारत की तरह सऊदी अरब, इंडोनेशिया और यूनाइटेड अरब अमीरात ने सुरक्षा को लेकर ऐसी ही चिंता ज़ाहिर की है.