गोरखा रेजीमेंट के जांबाज रह चुके हैं नेपाल के 7 भाई
काठमांडू, 13 अगस्त (आईएएनएस)। उत्तरी नेपाल के गोरखा जिले के मनकामना शहर के सात भाई 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दिन अपने टेलीविजन सेट्स से चिपके रहेंगे। इन थापा भाईयों ने घुसपैठियों, आतंकवादियों और खराब मौसम से लड़ते हुए भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दी हैं।
थापा भाइयों को होटल व्यवसायियों के परिवार के रूप में जाना जाता है। इन सात भाइयों में से पांच भाई सात होटल चलाते हैं।
वैसे भारतीय सेना की गोरखा रेजीमेंट में उनकी अलग पहचान थी, वे भारत माता की रक्षा में लड़ने वाले सात बहादुर योद्धा थे।
यह एक अद्भुत परिवार है जिसकी तीन पीढ़ियां नेपाल में अपना घर छोड़कर भारतीय सेना में शामिल हुईं और जिन्होंने आतंकवादियों, विद्रोहियों और कठोर मौसम से जूझते हुए ईमानदारी से सेवाएं दीं।
अपने परिवार की दास्तां सुना रहे काजी बाबू थापा को 80 के दशक में लद्दाख तैनात किया गया था, तब बर्फ की एक चट्टान के साथ उनके 40 साथी बह गए थे और वह अकेले ही जीवित बचे थे।
उन्होंने बताया कि उस समय चार्ली कंपनी के 26 और ब्रैवो कंपनी के 14 सदस्य बह गए थे, जिनके शव ढूंढने में पूरे आठ महीने का समय लगा।
जब भारत पर ब्रिटिश शासन था तब द्वितीय विश्व युद्ध के समय से ही थापाओं का इस देश से संबंध रहा है।
काजी बाबू के पिता गोपी लाल थापा और दो चाचा बिशु प्रसाद और राम लाल सेना में थे और उन्होंने ईरान, इराक, साइप्रस और ट्यूनीशिया में अपनी सेवाएं दीं।
जब 1947 में भारत को स्वतंत्रता मिली और गोरखा रेजीमेंट ब्रिटिश और नवनिर्मित भारतीय सेना में विभाजित हो गई तो उस समय भी सेना में मौजूद राम लाल ने भारतीय सेना में रहना तय किया।
छयासी वर्षीय राम लाल अब तक जीवित हैं और भारतीय सेना से पेंशन पा रहे हैं। गोपी लाल के सातों बेटे भारतीय सेना में थे।
काजी बाबू ने बताया कि उन दिनों मनकामना पिछड़ा क्षेत्र था और वहां व्यापार के कोई अवसर नहीं थे। इसलिए जिन लोगों का शरीर मजबूत होता था वे पड़ोसी देश की सेना में शामिल हो जाते थे और थापा भाइयों ने भी उन्हीं का अनुसरण किया था।
सात भाइयों में काजी बाबू, होम लाल, इंद्रा लाल, भक्त लाल, अशोक लाल, कृष्णा बाबू और राम बाबू सेवानिवृत्त हो गए हैं। सबसे बड़े होम लाल की उम्र 70 साल है तो सबसे छोटे राम बाबू अभी केवल 49 वर्ष के हैं।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।
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