भारतीय IT कंपनियों पर अमेरिका की नकेल, वीजा शुल्क बढ़ाया
कई
बड़ी
कंपनियां
शामिल
सांसदों
के
अनुसार
यह
कानून
उन
कंपनियों
को
ध्यान
में
रखकर
बनाया
गया
है
जो
अमेरिकी
वीजा
कार्यक्रमों
का
'दुरुपयोग'
करती
हैं।
सीनेट
के
संक्षिप्त
संस्करण
में
ऐसी
कंपनियों
की
सूची
में
विप्रो,
टाटा,
इंफोसिस
और
सत्यम
का
नाम
ऐसी
कंपनियों
के
रूप
में
दर्ज
किया
गया
है
जो
हजारों
कर्मचारियों
को
अमेरिका
में
अपने
ग्राहकों
के
लिए
तकनीकी
कर्मियों
और
इंजीनियर
के
तौर
पर
काम
करने
के
लिए
भेजती
हैं।
अमेरिकी
सीनेट
ने
पिछले
सप्ताह
ही
इस
संबंध
में
एक
विधेयक
पारित
कर
दिया
था।
हाउस
ऑफ
रिप्रजेंटेटिव्स
ने
मंगलवार
को
जिस
विधेयक
को
पारित
किया
है
वह
सीनेट
के
प्रस्ताव
से
थोड़ा
भिन्न
है।
राष्ट्रपति
बराक
ओबामा
के
पास
हस्ताक्षर
के
लिए
भेजे
जाने
से
पहले
इसे
फिर
सीनेट
की
मंजूरी
के
लिए
भेजा
जाएगा।
शुल्क में भारी बढ़ोतरी
नए उपायों के तहत जिन कंपनियों में एच-1बी वीजा धारक कर्मचारियों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक है उन्हें कुशल पेशेवरों के प्रति वीजा के लिए अब 320 डॉलर के स्थान पर 2,320 डॉलर का भुगतान करना होगा। इसी प्रकार बहु-देशीय स्थानांतरण वाले एल वीजा के लिए 320 डॉलर के स्थान पर 2,570 डॉलर शुल्क चुकाना होगा।
उद्देश्य
वीजा शुल्क को बढ़ाने का उद्देश्य अमेरिका-मेक्सिको की सीमा को सुरक्षित करने के लिए 60 करोड़ डॉलर का आपात कोष जुटाना है। यह उन खास मुद्दों में एक है जिन पर डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन दोनों पार्टियां सहमत हैं। इस वीजा उगाही से प्राप्त अतिरिक्त शुल्क का इस्तेमाल अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर संचालन शिविर बनाने और मानव रहित जासूसी विमान 'ड्रोन' को तैनात करने में किया जाएगा।
भारत का विरोध
भारत ने इस विधेयक का विरोध किया था क्योंकि अनुमान है कि इससे देश की कंपनियों को हर वर्ष करीब 20 करोड़ डॉलर अधिक खर्च करने होंगे। भारतीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि विधेयक में गलत ढंग से भारतीय कंपनियों को निशाना बनाया गया है।