कैदी तैयार करते हैं शिवलिंग का 'नाग मुकुट'
शिवलिंग
का
'नाग
मुकुट'
बाबा
वैद्यनाथ
धाम
के
पुरोहित
पंडित
सूर्यकांत
परिहस्त
ने
बताया
कि
यह
पुरानी
परंपरा
है।
कहा
जाता
है
कि
वर्षो
पहले
एक
अंग्रेज
जेलर
था
जिसके
पुत्र
की
अचानक
तबियत
बहुत
खराब
हो
गई।
उसकी
स्थिति
बिगड़ते
देख
लोगों
ने
जेलर
को
बाबा
के
मंदिर
में
'नाग
मुकुट'
चढ़ाने
की
सलाह
दी।
जेलर
ने
लोगों
के
कहे
अनुसार
ऐसा
ही
किया
और
उनका
पुत्र
ठीक
हो
गया।
तभी
से
यहां
यह
परंपरा
बन
गई।
बाबा
सब
की
सुनते
हैं
इसके
लिए
जेल
में
भी
पूरी
शुद्घता
और
स्वच्छता
से
व्यवस्था
की
जाती
है।
जेल
के
अंदर
इस
मुकुट
को
तैयार
करने
के
एक
विशेष
कक्ष
है
जिसे
लोग
'बाबा
कक्ष'
कहते
हैं।
यहां
पर
एक
शिवालय
भी
है।
जेलर
चंद्रेश्वर
प्रसाद
सुमन
बताते
हैं
यहां
मुकुट
बनाने
के
लिए
कैदियों
की
दिलचस्पी
देखते
बनती
है।
इस
कारण
मुकुट
बनाने
के
लिए
कैदियों
को
समूहों
में
बांट
दिया
जाता
है।
प्रतिदिन
कैदियों
को
बाहर
से
फूल
और
बेलपत्र
उपलब्ध
करा
दिया
जाता
है।
कैदी
उपवास
रखकर
बाबा
कक्ष
में
नाग
मुकुट
का
निर्माण
करते
हैं
और
वहां
स्थित
शिवालय
में
रख
पूजा-अर्चना
की
जाती
है।