जैविक चाय को बढ़ावा देने में जुटा उत्तराखण्ड
यहां से उत्पादित चाय इन्हीं देशों को निर्यात की जाती है। जैविक चाय को बढ़ावा देने में जुटे चाय बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि आम किसान के लिए इसका पौधारोपण आम के आम गुठलियों के दाम जैसा है।
उत्तराखण्ड चाय विकास बोर्ड के निदेशक सुबर्धन बताते हैं कि प्रदेश के जैविक चाय का स्वाद बढ़िया है जिसकी मांग देश-विदेश में बढ़ रही है। उन्होंने बताया कि चाय वर्तमान में लगभग पांच से छह हजार किलोग्राम चाय का उत्पादन होता है जो कोलकाता के व्यापारियों के द्वारा विदेशों में निर्यात होता है।
सुबर्धन कहते हैं कभी जैविक चाय की खेती कौसानी, नैनीताल, चमोली, चंपावत, घोड़ाखाल, नौटी और श्यामखेत के कुछ क्षेत्रों में होती थी। इसे अन्य क्षेत्रों में भी प्रसारित करने का प्रयास किया जा रहा है।
जैविक चाय की खेती को बढ़ावा देने के लिए चाय बोर्ड स्थानीय लोगों को इसकी खेती के बारे में जागरुक करने के काम में लगा है। सुबर्धन कहते हैं यह किसानों के लिए यह फायदे का सौदा है क्योंकि बोर्ड किसानों से उनकी खाली पड़ी जमीन सात साल के लिए लीज पर लेती है जिसके एवज में उन्हें पैसे के अलावा आजीविका भी प्राप्त होती है।
साथ ही सात वर्षो के बाद चाय के पौधों सहित पूरा खेत किसान को वापस सौंप दिया जाता है जिससे वह लगभग सौ वर्षो तक निरंतर आय प्राप्त कर सकता है। उत्तराखण्ड में उत्पादित चाय में खुशबू बेहतरीन होती है जिसके फायदा ये है कि इसे विदेशों में आसानी से ग्राहक मिलते हैं।