फिर हरा-भरा हुआ महाबोधि वृक्ष
भगवान बुद्ध को हुई थी ज्ञान की प्राप्ती
मान्यता है कि भगवान बुद्घ को इसी महाबोधि वृक्ष के नीचे आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त हुआ था और वे राजकुमार सिद्घार्थ से महात्मा बुद्घ बन गये थे। महाबोधि मंदिर और महाबोधि वृक्ष को देखने के लिए प्रतिवर्ष लाखों बौद्ध श्रद्घालु और पर्यटक बोधगया आते हैं।
पिछले हजारों वर्षो से बौद्धों की आस्था का केन्द्र रहा यह महाबोधि वृक्ष रोगग्रस्त था। इसके पत्ते पीले होकर गिर रहे थे। इस स्थिति में दिसंबर 2007 में बोधगया मंदिर प्रबंधकारिणी समिति ने महाबोधि वृक्ष को निरोग करने तथा इसकी देखभाल का जिम्मा देहरादून के वन अनुसंधान संस्थान (एफआरआई) को दे दिया था।
वृक्ष का उपचार
संस्थान
के
वैज्ञानिकों
ने
लगातार
इस
वृक्ष
की
देखरेख
की
तथा
कई
रासायनिक
लेपों
तथा
कई
अन्य
उपाय
कर
इस
वृक्ष
को
निरोग
कर
दिया।
बोध
गया
मंदिर
प्रबंधकारिणी
समिति
के
सचिव
नंगजी
दोरजे
ने
गुरुवार
को
बताया
कि
वर्ष
2007
में
एफआरआई
को
इस
वृक्ष
की
देखरेख
का
जिम्मा
दो
वर्ष
के
लिए
दिया
गया
था।
परंतु अब नये एग्रीमेंट के अनुसार महाबोधि वृक्ष की देखरेख का जिम्मा इस संस्थान को अगले पांच सालों के लिए दिया गया है। उन्होंने बताया कि संस्थान के वैज्ञानिक डॉ़ हर्ष पिछले 25 जुलाई को इस महाबोधि वृक्ष का निरीक्षण कर इसे पूर्ण रूप से निरोग और स्वस्थ बताया है।
घेराबंदी
दोरजे के अनुसार इस वृक्ष के पास पर्यटकों एवं धर्मावलंबियों को जाने से रोकने के लिए वृक्ष की घेराबंदी कर दी गई है तथा इसके पास मोमबत्ती आदि जलाने पर भी रोक लगा दी गई है।