माओवादियों को मिश्रित भावनाओं के साथ है सरन का इंतजार
काठमांडू, 4 अगस्त (आईएएनएस)। नेपाल की सबसे बड़ी माओवादी पार्टी ने बुधवार को कहा कि वह भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विशेष दूत श्याम सरन का मिश्रित भावनाओं के साथ इंतजार कर रही है, क्योंकि माओवादी मानते हैं कि 2008 में नेपाल के एक धर्मनिरपेक्ष गणराज्य बनने के बाद से नेपाल के साथ भारत की भूमिका नकारात्मक रही है।
ज्ञात हो कि नई दिल्ली ने नेपाल के प्रधानमंत्री पद के लिए शुक्रवार को प्रस्तावित चुनाव के पूर्व वहां पूर्व विदेश सचिव, सरन को भेजने का फैसला किया है। सरन नेपाल में उस समय भारत के राजदूत थे, जब नेपाल अपने इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण दौर से गुजर रहा था।
नई दिल्ली के नेपाल मामलों के विशेषज्ञ सरन को 2007 में प्रमुख पार्टियों को संविधान सभा के चुनाव के लिए मनाने हेतु नेपाल भेजा गया था, क्योंकि इसके पहले संविधान सभा का चुनाव दो बार स्थगित हो चुका था।
इस बार सरन की यात्रा का मकसद वहां एक नए प्रधानमंत्री का चुनाव कराना है, क्योंकि नेपाली सांसदों ने तीन दौर के चुनाव के बावजूद किसी भी उम्मीदवार को साधारण बहुमत देने से इंकार कर दिया है।
चूंकि प्रधानमंत्री पद के लिए चौथे दौर का चुनाव शुक्रवार को प्रस्तावित है, लिहाजा सरन इस चुनावी नाटक के बीच प्रमुख राजनीतिक नेताओं से बातचीत करेंगे। इनमें माओवादी, नेपाली कांग्रेस (एनसी), कम्युनिस्ट और तराई की चार क्षेत्रीय पार्टियों का ब्लाक शामिल है।
नेपाली कांग्रेस (एनसी) परंपरागत रूप से भारत सरकार के करीब है। एनसी ने अपने संसदीय दल के नेता रामचंद्र पौडेल को प्रधानमंत्री पद का अपना उम्मीदवार बनाया है। लेकिन शुक्रवार के चुनाव में भारत के समर्थन के बावजूद पौडेल के जीत की संभावना क्षीण है, क्योंकि उन्हें जीत के लिए कम्युनिस्टों और तराई की पार्टियों के समर्थन की जरूरत होगी, जो कि एक कठिन काम है।
भारत का तराई की पार्टियों पर काफी प्रभाव है और उनके साथ सरन की बातचीत का इस बात पर काफी असर होगा कि वे शुक्रवार को किसे समर्थन देते हैं।
कम्युनिस्टों और तराई की पार्टियों के पास 599 सदस्यीय सदन में कुल मिलाकर लगभग 200 सांसद हैं। ये दोनों गुट पिछले तीनों दौर के चुनाव के दौरान मतदान से अलग रहे हैं। परिणामस्वरूप चुनाव हर बार बेकार की कसरत साबित हुआ है।
माओवादियों के पास 237 सांसद हैं और उन्हें 300 सीटों के सामान्य बहुमत के लिए किसी भी एक प्रमुख पार्टी के समर्थन की जरूरत है।
माओवादियों ने कहा है कि उन्हें सरन के दौरे के बारे में कोई सूचना नहीं दी गई है और माओवादियों के प्रमुख, पुष्प कमल दहाल प्रचंड के साथ अभी तक सरन की मुलाकात का कोई कार्यक्रम तय नहीं है।
माओवादियों के उप प्रमुख, नारायण काजी श्रेष्ठ प्रकाश ने कहा, "यदि सरन शुक्रवार के चुनाव के लिए अच्छी भावना के साथ आए हैं, तो हम उनके दौरे का स्वागत करते हैं।"
प्रकाश ने कहा, "लेकिन जब से नेपाल गणराज्य बना है, यहां शांति प्रक्रिया और नए संविधान के निर्माण के प्रति भारत की भूमिका सकारात्मक नहीं रही है। हम भारत की जनता, वहां की पार्टियों और सरकार के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं। लेकिन हम नेपाल के अंदरूनी मामलों में भारत का हस्तक्षेप नहीं चाहते।"
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।