सेवा एवं वस्तु कर के लिए सभी का समर्थन जरूरी : मुखर्जी
मुखर्जी ने लोकसभा में कहा, "इसका अब समर्थन किया जाना चाहिए। इस सत्र में इसे संसद में पेश किया जाना चाहिए। अन्यथा इसमें फिर विलंब होगा क्योंकि कई राज्यों में आने वाले महीनों में चुनाव होंगे।"
पिछले सप्ताह संसद की कार्यवाही ठप्प करने वाले महंगाई के मुद्दे पर हुई चर्चा के 50 मिनट के अपने जवाब में मुखर्जी ने कहा, "वस्तु और सेवा कर के लिए इस सत्र में संविधान संशोधन विधेयक पेश किया जाना चाहिए।"
मुखर्जी ने कहा कि समान कर उपाय से केंद्रीय उत्पादन शुल्क और राज्यों के अन्य करों का खात्मा होगा। इससे केंद्रीय और राज्यों के वित्त मंत्रियों के नए कर लगाने के निजी विवेक की संभावना भी समाप्त होगी और कीमतों को काबू में रखने के बड़े उद्देश्य की पूर्ति होगी।
प्रस्तावित कानून को कर सुधारों की दिशा में एक बड़ा कदम बताते हुए मुखर्जी ने कहा, "भारतीय जनता पार्टी ने भी अपने घोषणा पत्र में कहा है कि वह 12 से 14 प्रतिशत के बीच वस्तु एवं सेवा कर लागू करेगी।"
नई अप्रत्यक्ष कर संहिता को लागू करने के सभी बकाया मतभेदों को सुलझाने के लिए पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री असीम दासगुप्ता की अध्यक्षता वाली वित्त मंत्रियों की एक अधिकार प्राप्त समिति की बुधवार को होने वाली बैठक के पहले मुखर्जी ने यह टिप्पणी की है।
पिछले महीने वित्त मंत्री ने अधिकार प्राप्त समूह के सामने त्रिस्तरीय कर ढांचे का प्रस्ताव रखा था। इसमें राज्यों और केंद्र को बराबर हिस्सेदारी दी गई है।
नए ढांचे के अनुसार पहले वर्ष में आवश्यक वस्तुओं पर केंद्रीय कर छह प्रतिशत प्रस्तावित है, अन्य वस्तुओं पर 10 प्रतिशत और सेवा पर आठ प्रतिशत कर होगा। इतनी ही मात्रा में राज्य भी कर लगा सकेंगे।
दूसरे वर्ष में केंद्र और राज्य करों की दर को घटाकर नौ-नौ प्रतिशत करेंगे। आवश्यक वस्तुओं पर छह प्रतिशत और सेवा पर आठ प्रतिशत का कर बना रहेगा।
तीसरे वर्ष में सभी वस्तुओं और सेवाओं पर केंद्र और राज्य आठ प्रतिशत कर लगाएंगे। वित्त मंत्री ने आश्वासन दिया कि नए कर ढांचे से किसी भी राज्य को नुकसान नहीं होगा।
इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।