पाकिस्तान में आत्मघाती हमले 40 मरे, 175 घायल
स्थानीय अखबार 'द न्यूज' के अनुसार कुछ मिनटों के भीतर हुए दो विस्फोट में सैकड़ों लोग घायल हो गए। दोनों आत्मघाती हमलावरों ने अपने शरीर से 20 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक बांध रखे थे। दोनों आतंकवादियों ने दरगाह परिसर में दो अलग अलग जगहों पर विस्फोट किए।
यह दरगाह 11वीं सदी के सूफी संत अबुल हसन अली हाजवेरी की है। उन्हें आमतौर पर दाता गंज बक्श के नाम से जाना जाता है। पहले आत्मघाती हमलावर ने अपने आप को दरगाह के बेसमेंट में रात लगभग 10.46 बजे अपने आप को उड़ा लिया। दूसरा विस्फोट दो मिनट बाद उस समय हुआ जब दूसरे हमलवार ने दरगाह के अहाते में दाखिल होने के बाद खुद को विस्फोट से उड़ा दिया।
पुलिस के अनुसार हमलावरों की उम्र 20-22 के बीच थी। दरबार के वजूखाने के निकट एक बम बरामद किया गया। आत्मघाती हमले के बाद घटना स्थल पर लोगों के शव इधर-उधर बिखरे हुए थे। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उन्हें दो विस्फोटों की आवाज सुनाई दी और फिर चारों ओर धूआं फैल गया। मौके पर मौजूद एक व्यक्ति ने बताया, "मैंने देखा कि दरगाह के चारो ओर से धुंआ उठ रहा था। पूरे इलाके में जलने की बू फैल गई थी।"
घटना के समय मौके दरगाह में मौजूद एक जायरीन ने बताया,"विस्फोट के बाद पुरुष, महिलाएं और बच्चे चारों तरफ भाग रहे थे। सभी चीख-चिल्ला रहे थे। पूरा बेसमेंट मलबे में तब्दील हो गया।" दरगाह के प्रभारी मियां साजिद अहमद ने बताया हमले से संबंधित धमकियां पहले से मिल रही थीं। सुरक्षा के पार्याप्त इंतजाम न होने की वजह से यह हादसा हुआ।
बम निरोधक दस्ते के अधिकारियों ने शवों के नमूनों को फोरेंसिक जांच के लिए इक्कठा किया। पुलिस ने इलाके को चारों तरफ से घेर लिया है। पुलिस ने हमलावरों के शव को बरामद कर लिए हैं। हमले की जानकारी देते हुए लाहौर के पुलिस आयुक्त खुसरो परवेज ने कहा, "यह हमला एक बड़ी साजिश का नतीजा है। हमारे लोग ही दूसरों के हाथों के हथियार बन रहे हैं।"
विस्फोटों के तत्काल बाद ही दुकानदारों ने दुकाने बंद कर लीं। उल्लेखनीय है कि मई में लाहौर स्थित अहमदिया समुदाय की दो मस्जिदों में हुए हमले में 80 से अधिक लोग मारे गए थे।