किर्गिस्तान हिंसा : 78 भारतीय सुरक्षित बिश्केक लाए गए
इस बीच हिंसाग्रस्त इलाके में फंसे भारत के 116 लोग में से 78 को सुरक्षित किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक ले आया गया है। सोमवार रात को 77 भारतीय छात्रों और एक प्रोफेसर को ओश से हवाई जहाज के जरिये बिश्केक लाया गया। 38 अन्य छात्रों को ओश से जलालाबाद लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
घर छोड़ने को मजबूर
हिंसा बढ़ने की वजह से उज्बेक समुदाय के हजारों लोग अपने घरों को छोड़कर भागने को विवश हो गए हैं। उज्बेक अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों का कहना है कि हिंसा में उनके समुदाय के कम से कम 500 लोग मारे गए हैं। रेडक्रास का कहना है कि कई शवों की बिना पहचान किए ही दफना दिया गया है।
हिंसा फैलने के बाद उज्बेकिस्तान और किर्गिस्तान की सीमाओं को बंद कर दिया गया। उपद्रवियों ने कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया और कई बाजारों को लूट लिया गया।
उज्बेक और किर्गिज समुदाय के नेताओं ने रविवार को सुलह वार्ता शुरू करने पर सहमति जताई थी। किर्गिस्तान की सरकार ने शनिवार को एक आदेश पारित करते हुए पुलिस और सुरक्षा बलों को दंगों पर काबू पाने के लिए दंगाइयों को देखते ही गोली मारने का हुक्म दे दिया।
यहां ओश और जलालाबाद शहरों में 116 भारतीय फंसे हुए हैं और भारतीय दूतावास उन्हें सहायता उपलब्ध कराने की हरसंभव कोशिश कर रहा है। इन भारतीयों में ज्यादा तादाद छात्रों की है। विदेश मंत्रालय ने कहा है, "भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव कदम उठाए जा रहे हैं।"
हिंसा
ओश से जहीर खान नाम के एक भारतीय छात्र ने टाइम्स नाउ चैनल को फोन पर बताया, "किसी भी छात्र की मौत किसी भी क्षण हो सकती है।" जहीर ने बताया कि हिंसा की वजह से भारतीय छात्र घरों तक ही सिमटे हुए हैं।
छात्रों ने शिकायत की है कि अधिकारियों ने उनसे अपने घरों को अंदर से बंद रखने को कहा है। कुछ छात्रों का कहना है कि बिजली, पानी और घरेलू गैस की आपूर्ति बंद कर दी गई है।
दुकानें और बाजार बंद रहने से खाद्यान्नों और दवाओं की किल्लत से दक्षिणी किर्गिस्तान में मानवीय स्थिति जटिल हो गई है।